तिनसुकिया में घूमने की जगह

तिनसुकिया में घूमने की जगह –

         

आज इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे देश के पूर्वी राज्य के पूर्वी जिले तिनसुकिया में घूमने की जगह और वहाँ की प्रकृति की सुन्दरता के बारे में विस्तार से, जहाँ सड़क के दोनों ओर चाय के बगानों की भीनी भीनी महक और खूबसूरती को शब्दों में बयाँ करना बेईमानी हो सकती है| भारत विभिन्नताओं में एकता का देश है, जैसे जैसे हम पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते है हर गाँव, शहर की संस्कृति तथा प्रकृति पिछले स्थान से कुछ न कुछ भिन्नता लिए होती हैं, ऐसी ही प्रक्रति की खूबसूरती संजोए उपरी असम में एक शहर है तिनसुकिया|

 अपर असम में आने वाला तिनसुकिया में घूमने की जगह में डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, तिलिंगा मंदिर, भूपेन हजारिका सेतु, डिगबोई सेंचुरी संग्रहालय तथा चाय के बागन आदि प्रमुख स्थान हैं| तिनसुकिया, असम के डिब्रूगढ़ शहर से पूर्व की ओर 47 किलोमीटर तथा गुवाहाटी से 485 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है|

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान –

उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी तथा दक्षिण में डिब्रू नदी के बीच फैला डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क पूरे विश्व में 350 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है, यहाँ देश विदेश से लोग पर्यटन और पशु पक्षियों के बारे में अध्ययन करने भी आते हैं| तिनसुकिया से उत्तर में स्थित डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में असम की कुछ जनजातियाँ भी यहाँ पर स्थित लाइका गाँव में रहती है|

पार्क में जंगली घोड़े, वुड डक (सफ़ेद पंख वाले देवहंस), रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, गंगा डालफिन, जंगली बिल्ली, हिरण, एशियाई पानी भैंस तथा एशियाई हाथी आदि यहाँ पर मुख्य रूप से निवास करते है|

      तिनसुकिया में घूमने की जगह में सबसे प्रमुख स्थानों में से एक डिब्रू सैखोवा नेशनल पार्क में सड़कों की अनुपलब्धता है जिससे वहाँ पर सफारी या हाथी द्वारा भ्रमण न होकर पैदल तथा मोटर नाव के द्वारा वन के अंदर घूमा जाता है| ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर इस प्रकृति के धनी क्षेत्र में सूर्योदय तथा सूर्यास्त का नजारा आपका रोम रोम प्रफुल्लता से भर सकता है| कोई पर्यटक रात्रि में पार्क के अंदर नहीं रुक सकता है, आपको रुकने के लिए तिनसुकिया में उचित होटल आसानी से मिल जायेंगे|

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SOURCE : FREEPIK.COM

         डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान में मानसून के समय देश विदेश से प्रजनन के लिए काफी संख्या में पक्षी आते हैं, उनको किसी तरह की असुविधा न हो तथा मई से अक्टूबर तक बाढ़ जैसी स्थिति हो जाने के कारण पार्क इस बीच सैलानियों के लिए पूरी तरह बंद रहता है| नवम्बर से अप्रैल तक नेशनल पार्क खुलता है| दिशाओं की जानकारी के लिए यहाँ स्थानीय गाइड लेना आवश्यक है|

तिलिंगा मंदिर –

तिलिंगा एक असमिया भाषा का शब्द है, जिसका अभिप्राय घंटी से है| यहाँ पर बरगद के वृक्ष के जड़ों के पास शिवलिंग है, मान्यता हैं की इस शिव मंदिर में कोई भी अपनी मुराद लेकर आता है वो अवश्य पूरी होती है, इसी कारण भक्तगण शिव जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इस वटवृक्ष की शाखाओं में घंटियाँ टांग देते है, यहाँ अनगिनत सभी प्रकार की घंटियाँ पूरे मंदिर प्रांगण में मिलती है अतएव इसे बेल टेम्पल भी बोला जाता है|

      तिनसुकिया से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित इस शिव मंदिर में काफी संख्या में त्रिशूल भी मिलते हैं, ये भी भक्तों के द्वारा शिव जी पर चदाये जाते है| तिनसुकिया में घूमने की जगह में तिलिंगा मंदिर मुख्य स्थानों में से एक है| लोगों के अनुसार यहाँ पर शिवलिंग सर्वप्रथम यहाँ पर चाय बागानों में काम करने वाले मजदूरों के द्वारा लगभग 1965 ईसवी में देखा गया था, फिर आस पास के लोगों ने मिल कर इस मंदिर का निर्माण कराया| 

भूपेन हजारिका सेतु –

लोहित नदी पर बना 9.15 किलोमीटर लम्बा पूर्वोत्तर भारत का सबसे लम्बा ब्रिज तथा भारत का दूसरा सबसे बड़ा पुल है| 12 जनवरी 2024 को मोदी के द्वारा अटल सेतु (मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक) के उदघाटन के पहले तक भूपेन हजारिका सेतु देश का सबसे लम्बा पुल था, अब अटल सेतु मुंबई तथा नवी मुंबई को जोड़ने वाला देश का सबसे बड़ा सी ब्रिज है, इसकी लम्बाई 21.8 किलोमीटर है| प्रक्रति का सौम्य वातावरण देखने के लिए तिनसुकिया में घूमने की जगह आने पर यहाँ से अवश्य गुजरना चाहिए|

      2017 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा बनाया गया, यह ढोला और सादिया गाँव को जोड़ने वाला सेतु ढोला और सादिया ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, असम तथा अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाला पहला पुल सुन्दर होने के साथ साथ सेना की द्रष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है| तिनसुकिया में घूमने की जगह में यह भी काफी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है, यहाँ आकर आप सूर्यास्त के मनोरम द्रश्य को देख सकते हैं|भूपेन हजारिका सेतु बनने के बाद अरुणाचल प्रदेश पहुँचने में काफी कम समय लगता है|

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डिगबोई सेंचुरी संग्रहालय –

इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड ने 2002 ईसवी में 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डिगबोई सेंचुरी संग्रहालय का निर्माण कराया, 1901 ईसवी में एशिया की सबसे पहली तेल रिफाइनरी असम के डिगबोई में स्थापित की गयी थी|

      इतिहास से प्रेम रखने वालों के लिए तिनसुकिया में घूमने की जगह में सबसे अच्छी जगह में से एक हो सकती है, यहाँ पर तेल रिफाइनरी के 1901 से 2001 ईसवी तक उपयोग में आने वाले अतीत के औजारों, कलपुर्जो तथा  विभिन्न प्रकार की मशीनरियों आदि को दर्शया गया है तथा खूबसूरत चित्रों को दीवारों में प्रदर्शित कर के पूरा कालचक्र का वर्णन किया गया है| असम तेल ऑयल का रिफाइनरी तथा प्रबंधन का कार्य 1981 ईसवी में इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड ने अपने हाथ में ले लिया था| डिगबोई सेंचुरी संग्रहालय, तिनसुकिया से पूर्व दिशा में लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है| यह म्यूजियम रविवार को बंद रहता है|

देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान –

तिनसुकिया से दक्षिण पूर्व दिशा में लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीवों तथा वनों से प्रेम करने वालो के लिए वरदान से कम नहीं है| 13 जून 2004 को इसे वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया था परन्तु बाद में इसका स्तर असम सरकार ने बड़ा कर इसे 13 दिसंबर 2020 को राष्ट्रीय उद्यान में परिवर्तित कर दिया जिससे यहाँ पर मानवीय क्रियाकलापों को वर्जित करके वन्य जीवन तथा जैव विविधता को सरंक्षित किया जा सके| देहिंग पटकाई नेशनल पार्क, असम का छठा राष्ट्रीय उद्यान है| वन्यजीवों से प्रेम करने वालों के लिए इस स्थान को जरूर तिनसुकिया में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

      देहिंग नाम उस नदी का है, जो इस वन के बीच से निकलती है तथा पटकाई उस पहाड़ी का नाम है, जिसके तल पर यह राष्ट्रीय उद्यान स्थित है| देहिंग पटकाई नेशनल पार्क में मुख्य रूप से चीनी पैन्गोलिन,जंगली सुअर, हिरन, विभिन्न प्रजाति की जंगली बिल्ली, असमिया मकाक तथा वुड डक निवास करते हैं|

    इन सभी जगहों के अतिरिक्त भी तिनसुकिया में काफी ऐसी जगह हैं जहाँ देश के अन्य कोनों से आये हुए पर्यटक स्वंय ही ठहर जाते है, यहाँ चारों ओर मिलने वाले हरे भरे वन तथा सडक के दोनों ओर दूर दूर तक चलने वाले चाय बागान तथा उनके साथ ही मनमोहक भीनी भीनी बागानों की खूशबू प्राक्रतिक रूप से सर्वत्र इत्र बिखेरती हुई प्रतीत होती है|

तिनसुकिया कैसे पहुँचे –

  • हवाई मार्ग द्वारा- डिब्रूगढ़ स्थित मोहनबाड़ी एयरपोर्ट, तिनसुकिया का सबसे निकटतम हवाईअड्डा है जो की 37 किलोमीटर की दूरी पर है, यहाँ से दिल्ली, कोलकाता तथा गुवाहाटी की प्रतिदिन एक से अधिक सीधी उड़ाने उपलब्ध हैं, इसके अतिरिक्त यहाँ से पूर्वोत्तर भारत के कई शहरों के लिए काफी किफायती रेट में रेगुलर फ्लाइट भी हैं|
  • रेलमार्ग के द्वारा- रेल द्वारा भी पर्यटक बड़ी आसानी से तिनसुकिया में घूमने की जगह के लिए आ सकते है, दिल्ली से काफी ट्रेन तिनसुकिया तथा डिब्रूगढ़ तक आती हैं, अगर आप डिब्रूगढ़ तक भी आते हैं, तो वहाँ से 45 किलोमीटर की दूरी में तिनसुकिया स्थित है| 
  • सड़क मार्ग द्वारा- तिनसुकिया जानने के लिए आप सड़क मार्ग द्वारा आ सकते हैं, रोड तथा हाईवे काफी सरल तथा अच्छे है| आप निजी वाहन का भी उपयोग कर सकते है| तिनसुकिया, गुवाहाटी से पूर्व दिशा में लगभग 485 किलोमीटर में स्थित है, जिसे पूरा करने में 11 घंटे तक का समय आसानी से लग सकता है| तिनसुकिया में घूमने की जगह को आप सरकारी बस द्वारा भी पूरा कर सकते है|

तिनसुकिया जाने से पहले जानने योग्य बातें –

तिनसुकिया जाने से पहले हमें कुछ बातें जान लेनी चाहिए जो निम्न हैं-
  1. अपर असम (पूर्वी असम) में मई से अक्टूबर के बीच काफी अधिक बारिश होती है, कई स्थानों पर बाढ़ जैसी स्थिति भी हो जाती है, इसलिए असम के तिनसुकिया में घूमने की जगह को इस समय आवश्यक न होने पर परहेज करना चाहिए|
  2. तिनसुकिया में घूमने की जगह के साथ साथ पर्यटक डिब्रूगढ़, शिवसागर तथा अरुणाचल प्रदेश भी आसानी से घूम सकते हैं जो की औसतन आपकी यात्रा का खर्चा कम करेगा |
  3. तिनसुकिया तथा डिब्रूगढ़ में कई होटल तथा होमस्टे भी हैं, इसके अतिरिक्त असम सरकार के स्वंय के भी टूरिस्ट इनफार्मेशन सेंटर के साथ साथ प्रशांति लाँज भी अपर असम में कई स्थानों पर हैं|
  4. अपर असम पर्यटक सामान्य रूप से कम पहुँचते है इसलिए इतनी अधिक सुविधाएँ हर स्थान पर नही है इसलिए आप पूरी यात्रा को प्लान कर के जाये जिससे किसी तरह की कोई असुविधा का सामना न करना पड़े|
  5. पूर्ण रूप से शाकाहारी लोग को भोजन खोजने में सामान्य से थोडा अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है, परन्तु इसका अर्थ नहीं की आपको शाकाहारी भोजन मिलेगा नहीं|
  6. तिनसुकिया में घूमने की जगह उन लोग को काफी सुख प्रदान कर सकती हैं जो अपने इतिहास तथा प्रकृति से अधिक प्रेम करते है|

FAQ-

प्रश्न- तिलिंगा मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर-  असम के तिनसुकिया जिले में स्थित भगवान शिव का मंदिर जहाँ वटवृक्ष के जड़ों के पास शिवलिंग स्थापित है, वहाँ पर श्रद्धालुओं के द्वारा मनोकामना पूरी होने पर बंधी घंटियों के लिए प्रसिद्ध है, असमिया भाषा में घंटी का अर्थ तिलिंगा से होता है|

प्रश्न- तिनसुकिया जिला कहाँ पर स्थित है?

उत्तर- तिनसुकिया जिला, अपर असम अर्थात पूर्वी असम में स्थित है, इसके नजदीक का मुख्य शहर डिब्रूगढ़ है| तथा यह गुवाहाटी से पूर्व दिशा में 485 किलोमीटर की दूरी में स्थित है|

प्रश्न- तिनसुकिया में घूमने की जगह कौन कौन सी हैं?

उत्तर मुख्य रूप से डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, तिलिंगा मंदिर, भूपेन हजारिका सेतु, डिगबोई सेंचुरी संग्रहालय तथा देहिंग पटकाई नेशनल पार्क तिनसुकिया में घूमने की जगह है|

प्रश्न- तिनसुकिया में घूमने की जगह के लिए कितने दिन पर्याप्त है?

उत्तर- पूरा तिनसुकिया आप दो रात्रि तथा तीन दिनों में बड़ी आसानी से पूरा कर सकते है|

प्रश्न- तिनसुकिया घूमने के लिए कितना औसत बजट होना आवश्यक है?

उत्तर- तिनसुकिया 7 से 8 हजार रूपये में आप औसत खर्चा करने में आसानी से घूम सकते हैं|

निष्कर्ष – तिनसुकिया घूमना उन पर्यटकों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता हैं, जो अपने देश की विभिन्नताओं से प्रेम करते हैं, जो हमेशा तरह तरह की संस्कृति को जानने के इच्छुक रहते हैं| दूर दूर तक हरे चाय बागानों की खूबसूरती में प्रकति का एक अलग रंग देखने को मिलता है|

असम के तिनसुकिया में घूमने की जगह आर्टिकल में हमने सभी प्रमाणिक तथ्योँ द्वारा जानकारी जुटा कर इसको अपनी समझ में पूर्णता प्रदान की है| किसी भी प्रकार के अन्य सुझाव, शिकायत तथा किसी विषय को जोड़ने हेतु आप हमसे दिये गये माध्यमों के द्वारा जुड़ सकते है| एतिहासिक तथ्यों से सम्बंधित कई जानकारी द्रष्टि आईएस की बेवसाइट से ली गयी है, अगर हमारी यह जानकारी पसंद आई हो तो अन्य लोगो के साथ साझा करें, इसी प्रकार के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी बेवसाइट “अंजान रास्ते” को और विजिट करें| मिलते हैं जल्द ही मिलते है किसी नये विषय और स्थान की जानकारी के साथ|

-दीक्षा दीक्षित

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