आस्था की नगरी प्रयागराज जिसके कण कण में धर्म और आस्था रमी हुई है| प्रयागराज में घूमने की जगह की बात की जाये तो सबसे जरुरी जगह जो प्रयागराज में घूमने के लिए है वह यहाँ पर लगने वाला कुम्भ मेला है जहाँ पर लोग अपनी आस्था के कारण देश-विदेश से कुम्भ मेले के समय शाही स्नान करने के लिए आते हैं और संगम में डुबकी लगाकर अपने तन और मन को निर्मल करते हैं|
आज के आधुनिक समाज में कई शहरों ने अपना पुराना रूप बदल दिया है और उनकी खुशबू कहीं खो सी गयी है लेकिन प्रयागराज ने आधुनिकता को अपनाया तो है लेकिन अपनी प्राचीन विरासत को आज भी संजोये हुए है जिसके कारण आज भी इस शहर का अपनापन और यहाँ की खुशबू पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है|
प्रयागराज जिसे आज भी कई लोग इलाहाबाद के नाम से जानते हैं, धर्म और आस्था का शहर है, जहाँ का कुम्भ का मेला इसकी धार्मिकता का चित्रण करता है| प्रयागराज में प्रत्येक 12 साल के बाद कुम्भ, प्रत्येक 6 साल के बाद अर्धकुम्भ तथा हर साल माघ मेला लगता है, जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए आते हैं|
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प्रयागराज में घूमने की जगह का पौराणिक महत्त्व-
प्रयागराज एक तीर्थ स्थल जिसका पौराणिक महत्व किसी से छुपा नहीं है| यहाँ का त्रिवेणी संगम एक महत्वपूर्ण तीर्थ है जहाँ लाखों की तादाद में श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं तथा प्रत्येक 12 साल में लगने वाला कुम्भ मेला इसको तीर्थो के राजा की संज्ञा दिलवाता है| यहाँ पर स्थित अलोपी शंकरी मंदिर एक शक्तिपीठ है जो कि माता सती को समर्पित है तथा इसका जिक्र पुराणों में किया गया है|
प्रयागराज में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?
देश के किसी भी स्थान से आप ट्रेन, फ्लाइट या बस के माध्यम से प्रयागराज आ सकते हैं| प्रयागराज ट्रेन तथा फ्लाइट के माध्यम से कई शहरों से जुड़ा हुआ है| इसके अलावा प्रयागराज की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से दूरी 261 किलोमीटर है| लखनऊ से प्रयागराज पहुँचने के लिए विभिन्न साधन दैनिक स्तर पर आसानी से उपलब्ध रहते हैं|
अगर आप कुम्भ मेले या अन्य किसी त्यौहार पर जाने का प्लान कर रहें हैं, तो आपको यहाँ पर भारी भीड़ का सामना करना पड़ सकता है| अपने साधन से आने वालों के लिए इस समय कार पार्किंग में असुविधा हो सकती है तथा ट्रैफिक भी आपको ज्यादा परेशान कर सकता है|
प्रयागराज में घूमने की जगह को कब करें प्लान?
प्रयागराज में घूमने के लिए अक्टूबर से अप्रैल का समय सबसे उपयुक्त है क्यूंकि यह मौसम शरद तथा बसंत ऋतु का होता है| इसी समय पर यहाँ पर कुम्भ मेले का भी आयोजन होता है|
अगर त्योहारों की बात करें तो सबसे उपयुक्त समय यहाँ आने के लिए हर 12 साल में लगने वाला कुम्भ मेला, 6 साल में लगने वाले अर्ध कुम्भ मेला तथा प्रत्येक साल का माघ मेला यहाँ आने के लिए एक बेहतरीन उत्सव का समय है जब श्रद्धालुओं का ताँता यहाँ रहता है|
प्रयागराज में घूमने की जगह-
त्रिवेणी संगम-
संगम का पावन स्थान, जहाँ पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है| ऐसा दिव्य स्थान जहाँ पर संगम में आपको गंगा और यमुना के स्वरुप भी अलग-2 देखने को मिलेंगे लेकिन सरस्वती इस संगम में अदृश्य रूप से मिलती हैं| आप नांव के माध्यम से यहाँ पहुंचकर आसानी से इस संगम को देख सकते हैं और यहाँ पर डुबकी लगाकर यहाँ की आध्यात्मिकता का अनुभव भी कर सकते हैं|
संगम में कल-कल करती नदियों की ध्वनि कानों में आस्था की गूँज भरती है और मन को तृप्ति देती है| कुम्भ मेले के समय यहाँ पर श्रद्धालुओं के लिए भव्य घाट बनाये जाते हैं जिनमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है| इस पावन संगम को देखने के लिए आपको यह स्थान प्रयागराज में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|
बड़े हनुमान जी का मंदिर-
यहाँ पर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है जिसमें हनुमान जी अपने कंधे पर राम जी और लक्ष्मण जी को लिए हुए हैं और साथ ही साथ अपने पैरों से दो राक्षसों को दबाये हुए हैं| संगम में स्नान हेतु आये श्रद्धालु यहाँ पर दर्शन करने भी आते हैं| कहा जाता है गंगा जी का जल भी यहाँ हनुमान जी का स्पर्श करके नीचे उतर जाता है|
प्रयागराज का किला-
इस किले का निर्माण बादशाह अकबर ने सन् 1583 में कराया था जिसकी वास्तुकला एक महत्वपूर्ण स्थान रखती थी| अब यह किला भारतीय सेना की देख रेख में है और इसका कुछ सीमित हिस्सा ही पर्यटकों हेतु खुला है| इसके अन्दर पातालपुरी मंदिर और अक्षय वट के दर्शन भी होते हैं जो कि भक्तों की आस्था का केंद्र है| मान्यता है कि इसी दिव्य अक्षय वट के नीचे राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी ने विश्राम भी किया था|
अलोपी देवी मंदिर-
यह शक्तिपीठ माँ सती को समर्पित है| इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहाँ पर कोई भी प्रतिमा नहीं है बल्कि यहाँ पर एक झूले की पूजा की जाती है| बताया जाता है कि विष्णु जी द्वारा उनके सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के काटने पर माता सती के हाँथ का पंजा यहाँ गिरा था जो कि विलुप्त हो गया था जिसके कारण इन्हें अलोप शंकरी के नाम से जाना जाता है| यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है और नवरात्री के समय यहाँ भारी भीड़ रहती है|
चन्द्रशेखर आज़ाद पार्क-
इतिहास में रूचि रखने वालों को यह स्थान प्रयागराज में घूमने की जगह में जरुर ही शामिल करना चाहिए| यहाँ पर चन्द्र शेखर आज़ाद का एक स्टेचू भी है| यह वही स्थान है जहाँ पर चन्द्र शेखर आज़ाद जी विदेशी सत्ता के साथ लड़ते हुए गोली से आहत होने के कारण वीरगति को प्राप्त हुए थे| पार्क के अन्दर प्रसिद्ध प्रयागराज संग्रहालय भी है जिसमें 16 वीथिकाएँ हैं जिसमें कई प्रकार के संग्रह हैं जिसमें पाण्डुलिपि, आधुनिक चित्रकला, मूर्तिशिल्प, मुद्राएँ तथा अस्त्र और शस्त्र आदि उल्लेखनीय हैं|
श्री आदि शंकर विमान मंडपम-
आकर्षक नक्काशी से सजा हुआ द्रविड़ वास्तुकला शैली में बना हुआ यह मंदिर जहाँ पर प्रवेश करते ही श्री कामाक्षी देवी के अलौकिक दर्शन होते हैं| मंदिर के फर्स्ट फ्लोर में तिरुपति बाला जी की प्रतिमा है तथा दूसरे फ्लोर पर विशाल शिवलिंग के दर्शन होते हैं| संगम के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर से दिखने वाला संगम का दृश्य अपनी मनमोहक और आध्यात्मिक छटा से आपको कुछ पल वहाँ रुकने को अवश्य ही विवश कर देगा|
नाग वासुकि मंदिर-
यहाँ पर नागराज, भीष्म पितामह, गणेश और पार्वती जी की प्रतिमा है| यह मंदिर नागराज वासुकि को समर्पित है जिनकों प्रयाग के प्रमुख देवों में से एक कहा जाता है| नाग पंचमी के अवसर पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ रहती है तथा मेले का आयोजन किया जाता है| पुराणों के अनुसार देव और असुरों द्वारा किये गये सागर मंथन में मंथनी बने मंदराचल पर्वत के चारों ओर रस्सी के रूप में नागराज वासुकि ने अपने को प्रयुक्त करने हेतु समर्पित करा था|
इस मंदिर की मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद यहाँ दर्शन करने से सभी पापों का नाश होता है तथा काल सर्प दोष भी समाप्त हो जाता है| इस मंदिर के दर्शन हेतु आपको इसे प्रयागराज में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|
मनकामेश्वर मंदिर-
यह प्राचीन मंदिर प्रयागराज के बर्रा तहसील से 40 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम दिशा में है| यहाँ पर काले पत्थर की शिवलिंग है साथ ही साथ गणेश जी और नदी जी की प्रतिमाएं भी हैं| जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कहा जाता है कि यहाँ पर मांगी हुई हर इच्छा पूरी होती है| यहाँ पर हनुमान जी की भी प्रतिमा है|
खुसरो बाग़-
अद्भुत वास्तुकला का एक उदाहरण यह ऐतिहासिक बाग़ है, जहाँ पर सुल्तान बेगम तथा जहांगीर के बेटे खुसरो के मकबरे स्थित हैं| सुल्तान बेगम के मकबरे के पास में खुसरो की बहन निसार का मकबरा भी है| अपनी उत्क्रष्ट वास्तुकला तथा यहाँ की हरियाली और शांत वातावरण के कारण ही यह प्रयागराज के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है|
आनंद भवन-
यह एक ऐतिहासिक भवन है, जिसका निर्माण मोतीलाल नेहरु जी द्वारा सन् 1930 में कराया गया था जो कि नेहरु परिवार का निवास स्थान हुआ करता था| बाद में इसे भारतीय राष्ट्रीय कांगेस द्वारा स्वराज भवन में बदल दिया गया| इसमें जवाहर नक्षत्रशाला भी है जो कि ग्रह-नक्षत्रों, तथा विज्ञानं में रूचि रखने वालों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान है|
प्रयागराज विश्वविद्यालय
पर्यटन तथा शिक्षा के लिहाज से प्रमुख, प्रयागराज विश्वविद्यालय भारत के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है| प्रयागराज विश्वविद्यालय की स्थापना 23 सितम्बर, 1887 में हुई थी| इस विश्वविद्यालय की वास्तुकला इसको पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाती है|
इसे भी पढ़ें-
प्रयागराज में घूमने की जगह के साथ ही साथ आप उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों के बारें में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं| उत्तर प्रदेश के दूसरे धार्मिक स्थान की जानकारी के लिए हमारे अन्य लेख ‘अयोध्या में घूमने की जगह’ को भी पढ़ें|
प्रयागराज कैसे पहुंचें-
हवाई मार्ग द्वारा- प्रयागराज में एअरपोर्ट की सुविधा है जिसके कारण आप फ्लाइट के माध्यम से प्रयागराज आ सकते हैं| अगर आपके शहर से प्रयागराज के लिए फ्लाइट नहीं है, तो आप फ्लाइट के माध्यम से लखनऊ आ सकते हैं| लखनऊ से प्रयागराज आने के लिए साधन आसानी से उपलब्ध रहते हैं|
रेल मार्ग द्वारा- उत्तर प्रदेश रेलवे जोन का मुख्यालय प्रयागराज, ट्रेन के माध्यम से बड़ी ही आसानी से पहुंचा जा सकता है क्यूंकि यहाँ पर कई रेलवे स्टेशन हैं|
सड़क मार्ग द्वारा- सड़क मार्ग द्वारा प्रयागराज पहुंचना भी एक अच्छा विकल्प है| प्रयागराज राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग के द्वारा देश के कई शहरों से जुड़ा हुआ है| उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्टेशन कारपोरेशन द्वारा चलायी गयी बसों के द्वारा भी प्रयागराज आ सकते हैं|
FAQ-
प्रश्न- प्रयागराज से लखनऊ की दूरी कितनी है?
उत्तर- प्रयागराज से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दूरी 261 किलोमीटर है|
प्रश्न- प्रयागराज में घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं?
उत्तर- त्रिवेणी संगम, बड़े हनुमान जी का मंदिर, प्रयागराज विश्वविद्यालय, आनंद भवन, खुसरो बाग़, मनकामेश्वर मंदिर, नाग वासुकि मंदिर, श्री आदि शंकर विमान मंडपम, चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क, अलोपी देवी मंदिर तथा प्रयागराज का किला आदि प्रयागराज में घूमने की जगह हैं|
प्रश्न- इलाहाबाद का वर्तमान नाम क्या है?
उत्तर- इलाहाबाद का वर्तमान नाम प्रयागराज है|
प्रश्न- प्रयागराज में कौन सा शक्तिपीठ है?
उत्तर- अलोपी देवी मंदिर, प्रयागराज में स्थित एक शक्तिपीठ है जहाँ पर माता सती का अंग गिरा था|
हमारे लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद! प्रयागराज के बारे में और अधिक जानकारी के लिए प्रयागराज की ऑफिसियल वेबसाइट भी देखें|
Har har mahadev 🙏