कानपुर में घूमने की जगह

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक तथा धार्मिक शहरों में से एक कानपुर में घूमने की जगह की कोई कमी नहीं है| कानपुर अपने एक अलग अंदाज और अपने स्वाद के लिए पूरे भारत में जाना जाता है, कहा जाता है कि अगर 10 लोग साथ में हैं और उनमे से एक व्यक्ति कानपुर का है तो आप उसके बोलने के अंदाज से ही जान सकते हैं की ये कानपुर से है|

पूर्व के मैनचेस्टर के नाम से जाना जाने वाला कानपुर चमड़ा और टेक्सटाइल उद्योग के लिए मशहूर कानपुर गंगा नदी के दक्षिण पश्चिम तट पर स्थित है| अपने आतिथ्य सत्कार के लिए जाना जाने वाले कानपुर में काफी सुन्दर ऐतिहासिक घाट, पार्क, स्मारक, मंदिरों आदि स्थित हैं जिन्हें आप कानपुर में घूमने की जगह में शामिल कर सकते हैं| उत्तर प्रदेश का प्रमुख शहर कानपुर राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली से 475 किलोमीटर तथा लखनऊ से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है|

कानपुर में घूमने की जगह में जेके मंदिर (राधा कृष्ण मंदिर), भीतरगाँव मंदिर, मोतीझील, कानपुर प्राणी उद्यान (एलन फारेस्ट जू), कानपुर मेमोरियल चर्च, इस्कान मंदिर, जैन ग्लास मंदिर (काँच का मंदिर), अटल घाट, गंगा बैराज, आनन्देश्वर मंदिर, बिठूर स्थित नानाराव पार्क, वाल्मीकि आश्रम, ब्रह्मावर्त घाट, सुधांशु आश्रम, ध्रुव टीला, साईं दरबार तथा ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क आदि प्रमुख स्थान हैं| शापिंग पसंद करने वालो के लिए भी कानपुर में घूमने की जगह की कमी नहीं हैं, यहाँ पर सीसमऊ, गुमटी, शिवाला, नवीन मार्केट तथा जेड स्क्वायर आदि प्रसिद्ध बाजार हैं जहाँ पर काफी दूर दूर से लोग आते हैं|

कानपुर का ऐतिहासिक महत्व – सनातन काल से अंग्रेजो के समय तक के इतिहास में पूर्व का मैनचेस्टर कहे जाने वाले कानपुर का नाम दर्ज है| पुराणों के अनुसार ब्रम्हा जी ने कानपुर के बिठूर में ही संसार की रचना की थी, यहाँ एक ब्रम्हावर्त खूटी हैं जिसे हिन्दू धर्म में मान्यता है की यह धरती का केंद्र बिंदु है| रामायण की रचना भी कहा जाता है, कि वाल्मीकि जी ने यही पर की थी| ऐतिहासिक बिठूर को किसी भी कीमत पर कानपुर में घूमने की जगह से नहीं हटाना चाहिए|

        अंग्रेजो ने 1776 ईसवी में अवध के नवाब को हराकर कानपुर का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया और इसे काफी तेजी से छावनी में बदलने लगे, आगे चलकर कानपुर में औद्योगिक द्रष्टि से काफी प्रसार हुआ, अंग्रेजो के समय से ही कानपुर टेक्सटाइल तथा चमड़ा उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध हुआ, भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में अपने उत्पादों के वजह से जानी जाने वाली लाल इमली मिल का निर्माण 1876 में हुआ जिसमे प्रमुख रूप से शुरुआत में सैनिको के लिए गर्म कपड़े बनाये जाते थे, इस मिल की वजह से ही कानपुर को पूर्व का मैनचेस्टर के नाम से जाना जाता है|

1930 में कानपुर सेंट्रल का निर्माण भी अंग्रेजों द्वारा कराया गया था| कर्नलगंज, कूपरगंज, मूलगंज, मरे कंपनी, फेथफुल गंज, मेस्टन रोड तथा उर्सला हॉस्पिटल आदि स्थान पुराना कानपुर के अंग्रेजों के प्रभाव वाले क्षेत्र हैं जिनके नाम अंग्रेज अधिकारियों के नाम पर पड़े हैं, जिसके कारण पुराने कानपुर का असली रंग देखने के लिए इन जगहों को भी कानपुर में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

      1857 की क्रांति में भी कानपुर का अहम योगदान था, बिठूर से नाना साहब इस क्रांति का नेतृत्व कर रहे थे और वही अपनी कलम से लोगों में क्रांति की आग जलाने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी भी कानपुर से ही थे, 1931 में उनकी म्रत्यु को शानदार बताते हुए महात्मा गाँधी जी ने कहा था की उनको भी इसी तरह की मौत मिले| बिठूर, कानपुर में घूमने की जगह में प्राथमिकता के तौर पर देखा जाता है|

कानपुर में घूमने की जगह –

  • जेके मंदिर – कानपुर सेंट्रल से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर सर्वोदय नगर में स्थित भव्य राधाकृष्ण मंदिर (जेके टेम्पल) की सुन्दरता देखते ही बनती है| कानपुर के सम्भ्रांत सिंहानिया परिवार का जेके ट्रस्ट द्वारा 1960 ईसवी में निर्मित यह मंदिर कानपुर में घूमने की जगह में प्रमुख स्थान है| जेके मंदिर का पूरा नाम जुग्गीलाल कमलापत मंदिर है|

      इस विशाल मंदिर परिसर में काफी ऊँचे शिखर हैं तथा यहाँ प्राक्रतिक प्रकाश तथा हवा पहुँचने की समुचित व्यवस्था है| मंदिर के बाहर के परिवेश में सुन्दर बगान तथा क्रतिम झरने तथा जगमगाती बिजली आपका मन मोह लेगी| मंदिर के अंदर भगवान राधाकृष्ण, लक्ष्मी नारायण, अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर तथा भगवान हनुमान जी के सजीव तथा अलौकिक प्रतिमा आपको कुछ छणों के लिए उनकी खूबसूरती निहारने को विवश करेगी|

कानपुर में घूमने की जगह, outside view of j k temple
  • भीतरगाँव मंदिर – कानपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुप्तकाल के समय का बना हुआ मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है, यह मंदिर ईटों के द्वारा निर्मित है जो की उत्तम दर्जे की ढली हुई है तथा उन सभी में कलाक्रतियों को उभारा गया है, भीतरगाँव मंदिर को कानपुर में घूमने की जगह में अवश्य शामिल करना चाहिए, काफी ईटें जो की समय के साथ उत्खलित हो गयी हैं उनको लखनऊ के संग्रहालय में संजो के रखा गया है|

   भीतरगाँव मंदिर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेहटा बुजुर्ग गाँव में जगन्नाथ मंदिर भी कानपुर में घूमने की जगह में से एक है| भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित बेहटा बुजुर्ग मंदिर गाँव के लोगों में ठाकुर जी मंदिर तथा जगन्नाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है| स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर की विशेषता है कि मंदिर परिसर की छत बारिश होने के कुछ दिन पहले से ही टपकने लगती है| इस प्रकार मौसम का पूर्वानुमान लगने से आसपास के गाँव के लोगों को खेती आदि कामों में काफी सुलभता रहती है| यहाँ पर भगवान जगन्नाथ की प्रत्येक वर्ष रथयात्रा भी निकलती है|

  • मोतीझील – कानपुर के बेनाझाबर क्षेत्र में स्थित बिट्रिश काल के समय का जल शोधन संयंत्र जो की सेप्टिक टैंक के नाम से जाना जाता था, इस हलचल से भरे आद्योगिक शहर में आजादी के बाद शहर प्रशासन ने शहर के बीचोबीच स्थित इस स्थान को एक मनोरंजन पार्क के रूप में विकसित किया| मोतीझील को कानपुर के फेफड़े की संज्ञा दी जाती है तथा यह स्थान कनपुरियों तथा पर्यटन की द्रष्टि से भी कानपुर में घूमने की जगह में से एक है| मोतीझील में एक क्रत्रिम सुन्दर झील है, जिसमे आप नौका विहार कर सकते है, झील के चारो ओर सुन्दर बगान है तथा उसके साथ में ही पार्क में टहलने के लिए रास्ता है| इस मंद मंद खूबसूरत फूलो की महक वाले पार्क के अंदर ही बच्चो के लिए एक सुन्दर स्थान है जहाँ पर कई झूले इस स्थान की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं|

     मोतीझील के बाहर निकलते ही कई तरह के खाने पीने के ठेले आपको अवश्य लुभा लेंगे, मोतीझील के पास में ही एक स्थान पर समय समय पर कई तरह के मौसमी तथा त्यौहारी मेले लगते हैं| मोतीझील का यह क्षेत्र ,कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा मनोरंजन तथा परिवार के साथ समय बिताने के लिए ही विकसित किया गया है, अतएव मोतीझील जरुर आपके कानपुर में घूमने की जगह की लिस्ट में होना चाहिए| मोतीझील आप आसानी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट से पहुँच सकते हैं, मोतीझील में मेट्रो स्टेशन भी है|

कानपुर में घूमने की जगह, outside view of iskcon temple kanpur
  • एलेन फारेस्ट जू कानपुर में बच्चों के बीच सबसे अधिक प्रिय जगह कानपुर का चिड़ियाघर जाये बिना आपकी कानपुर में घूमने की जगह कैसे पूरी हो सकती है? लेखा पार्क एक उत्तम विकल्प है| भारत का तीसरा बड़ा जूलॉजिकल पार्क का श्रेय कानपुर प्राणी उद्यान को ही जाता है, जिसको पर्यटन के लिए 4 फरवरी 1976 को खोला गया था| एलेन फारेस्ट जू का नाम बिट्रिश इंडियन सिविल सर्विस के सदस्य सर एलेन के नाम पर रखा गया है, क्योकि नवाबगंज के इस प्राक्रतिक जंगल को वह एक जूलॉजिकल पार्क के रूप में विकसित करना चाहते थे परन्तु उस समय उनकी यह परिकल्पना साकार नहीं हो पायी|

     कानपुर सेंट्रल से मात्र 9 किलोमीटर की दूरी पर आजाद नगर में स्थित यह चिड़ियाघर परिवार तथा अन्य प्रियजनों के साथ पूरे दिन का समय वन्यजीवों तथा प्राक्रतिक वातावरण के बीच बिताने का सबसे उत्तम स्थान है| कानपुर में घूमने की जगह में सबसे मशहूर कानपुर प्राणी उद्यान में 1100 से भी अधिक जीव जन्तु हैं, यहाँ पर स्थित वास्तविक आकार का डायनासोर का प्रतिरूप तथा मछलीघर भी आपको देखने चाहिए|

जू के प्रवेश द्वार के अंदर पास में ही एक प्राक्रतिक झील भी है जो की अच्छी रखरखाव न होने के फलस्वरूप समय के साथ सिकुड़ गयी है, प्रक्रति से निकटता रखने वालो के लिए यह जगह और भी खास हो जाती है क्योंकि यहाँ कई प्रकार की दुर्लभ वनस्पतियाँ भी देखने को मिलेंगी| यहाँ पर पशु पक्षियों में मुख्य आकर्षण का केंद्र भालू, लकड़बग्घा, गैंडा, शेर, तेंदुआ, बाघ, दुर्लभ प्रजाति का घड़ियाल, वनमानुष, लंगूर, चिम्पांजी, हिरन, अफ्रीका का शुतुरमुर्ग, न्यूजीलैंड का ऐमू, तोता, सारस पक्षी आदि हैं| ,

  • कानपुर मेमोरियल चर्च – आँल सोल कैथेड्रल के नाम से जाना जाने वाला 1875 ईसवी में बना कानपुर कैंट में स्थित यह गिरजाघर लोम्बार्डिक गोथिक शैली में बना हुआ है| इसकी डिजाइन का श्रेय ईस्ट बंगाल रेलवे के वास्तुकार वाल्टर ग्रेनविले को जाता है| यह चर्च उन अंग्रेज सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने 1857 ईसवी के सैनिक विद्रोह के समय साहस तथा पराक्रम दिखाते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था| यह गिरजाघर लाल रंग के ईटों से बना हुआ आज भी जीवंत प्रतीत होता है| चर्च के पूर्वी भाग में एक मेमोरियल गार्डन भी इस स्थान की सुन्दरता बढाता है| यह कानपुर के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में से एक है|
  • इस्कान मंदिर – स्वामी प्रभुपाद जी ने कृष्ण जी की भक्ति में लीन होकर न्यूयार्क शहर में 13 जुलाई 1966 ईसवी को इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा काँनसियसनेस सोसाइटी की स्थापना की जो पूरे विश्व में इस्कान (ISKCON) सोसाइटी के नाम से जाना जाता है| इस सोसाइटी के भव्य मंदिर पूरे विश्व में हिन्दू तथा कृष्णा के गुणों का बखान कर रहे हैं, वर्तमान में 400 से भी अधिक मंदिर पूरे विश्व में इस ट्रस्ट के हैं, उसी कड़ी में मैनावती मार्ग, बिठूर रोड में स्थित श्री श्री राधा माधव मंदिर भी है, जिसके मंदिर के अंदर तथा आसपास के बागों की सुन्दरता देखते ही बनती है|
कानपुर में घूमने की जगह, outside view of iskcon temple kanpur

मंदिर परिसर में ही अल्पाहार के लिए काफी उत्तम व्यवस्था हैं यहाँ पर गाय को भी पाला जाता है तथा सदस्यों को ध्यान में रखते हुए रुकने के लिए भी उत्तम व्यवस्था है| मूर्तियों की भव्यता देखकर मानों अभी लगता हैं श्री कृष्ण मुरली बजाने लगेंगे तथा श्रीराम की मुस्कान आपके मन की सभी पीड़ा हर लेगी| कानपुर में घूमने की जगह में यह स्थान अवश्य शामिल होने योग्य है|

  • काँच का मंदिर – कानपुर शहर के मध्य में स्थित कमला टावर के निकट 150 वर्षों से भी अधिक पुराने जैन ग्लास मंदिर को कानपुर में घूमने की जगह में शामिल न करना बेइमानी सी लगती है| ईरानी तथा राजस्थानी वास्तुकला की धरोहर, इस नक्काशीदार मंदिर को एक बार अवश्य आकर देखना चाहिए| इस रमणीय मंदिर का निर्माण रघुनाथ प्रसाद भंडारी जी ने करवाया था, मंदिर के अंदर जैन धर्म के 15वें तीर्थंकर धर्मनाथ स्वामी और सातवें तीर्थंकर सुपाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमा स्थापित है।
  • अटल घाट तथा गंगा बैराज – कानपुर शहर के भीड़ भाड़ से दूर, कानपुर सेंट्रल से 8.5 किलोमीटर की दूरी पर नवाबगंज में गंगा माँ के आँचल में स्थित अटल घाट में कुछ पल बिताये बिना कानपुर यात्रा पूरी नहीं हो सकती है|
कानपुर में घूमने की जगह, atal ghat view

कानपुर का मरीन ड्राइव कहे जाने वाले अटल घाट तथा 700 मीटर की दूरी में ही स्थित सरकार का मेगा प्रोजेक्ट गंगा बैराज को जरूर ही कानपुर में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए, अटल घाट आकर आप गंगा नदी में नौका विहार भी कर सकते हैं| गंगा बैराज के आस पास शाम को परिवार तथा नये युवा काफी संख्या में समय बिताने तथा सनसेट का लुफ्त उठाने आते हैं| गंगा बैराज आकर आप तेज हवा के बीच मैगी, भुट्टा, चाय आदि के साथ अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हैं|

कानपुर में घूमने की जगह, ganga bairaj pic

बिठूर में स्थित पर्यटन स्थल – कानपुर से बिठूर की दूरी 25 किलोमीटर है, बिठूर में कई सारे पर्यटन स्थल हैं, यहाँ पर सरकारी बस अथवा अनेक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं| बिठूर में निम्न जगह हैं जो कानपुर में घूमने की जगह में जरुर शामिल होना चाहिए-

नानाराव पार्क

वाल्मीकि आश्रम

ब्र्म्हावर्त घाट (ब्रम्ह खूटी)

सुधांशु आश्रम

साईं आश्रम

ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क

ध्रुव टीला

                बिठूर कानपुर का अभिन्न भाग होने के बावजूद उसकी सम्पूर्ण जानकारी इस आर्टिकल में देने पर बिठूर के साथ नाइंसाफी सी होगी, बिठूर, कानपुर में घूमने की जगह तो है परन्तु इस आध्यत्मिक स्थान की प्रत्येक जगह का अपना महत्व है|

इसे भी पढ़े –

बिठूर के बारे में और अधिक जानने के लिए हमारी बेबसाइट में उपलब्ध लेख बिठूर में घूमने की जगहको अवश्य पढ़ें|

  • आनन्देश्वर मंदिर (परमट) – गंगा जी के तट पर बसे परमट में स्थित बाबा भोलेनाथ के आनन्देश्वर मंदिर आपको अवश्य पहुँचना चाहिए, यहाँ सुबह तथा सायंकाल की आरती आपको आस्था तथा रोमांच से भर देगी| कानपुर वासियों की आस्था के प्रतीक इस मंदिर में काफी श्रद्धालू प्रतिदिन अपने दिन की शुरुआत अथवा समाप्ति दर्शन करते हैं| शहर के मध्य तथा कानपुर सेंट्रल से 5 किलोमटर की दूरी में स्थित इस मंदिर परिसर में बाबा भोलेनाथ के अलावा माँ दुर्गा, हनुमान जी, गायत्री माँ, साईं दरबार, राम दरबार, लक्ष्मी नारायण, नवग्रह मंदिर, सरस्वती माता, राधे कृष्णा, शनिदेव आदि सभी के अलग अलग मंदिर, इस स्थान की भव्यता बढ़ाते हैं|

धर्म में आस्था रखने वाले लोग यहाँ आरती में शामिल होकर अपने कानपुर में घूमने की जगह को थोडा आध्यत्मिक रंग दे सकते हैं| परमट मंदिर के घाट पर काफी सजी हुई नौका रहती हैं जिसमे आप बैठकर माँ गंगा की गोद में हिलोरे ले सकते हैं|

कानपुर में घूमने की जगह, aandeshwar mandir
  • कानपुर के प्रमुख बाजार तथा अन्य स्थान – बाजार घूमे बिना भारतीय अपनी यात्रा को पूरी नहीं मानते हैं और कानपुर जैसी बाजार हर जगह उपलब्ध भी नहीं होती है तो ऐसे स्थान को जाने बिना कानपुर में घूमने की जगह कैसी पूरी हो सकती है? कानपुर की सीसामऊ, गुमटी, नवीन मार्केट, शिवाला, लालबंगला तथा बिरहाना रोड आदि प्रसिद्ध बाजार हैं जहाँ पर कानपुर ही नहीं आस पास के जिलों से भी लोग सामान लेने आते हैं| कानपुर में ऐतिहासिक मैदान फूलबाग में प्राचीन पार्षद पुस्तकालय भी आप देख सकते हैं|

कानपुर कैसे पहुँचे –

  • हवाई मार्ग द्वारा-  कानपुर शहर से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर कानपुर एयरपोर्ट है जहाँ से प्रतिदिन नयी दिल्ली, मुंबई की सीधी उडान तथा कोलकाता और बंगलुरु के लिए भी एक स्टॉप के साथ सभी दिन उड़ानें उपलब्ध हैं| कानपुर से 85 किलोमीटर दूर लखनऊ अन्तराष्ट्रीय हवाईअड्डा भी है जहाँ से सभी अन्य स्थानों के लिए भी हवाई यात्रा आसानी से कर सकते हैं|
  • रेलमार्ग के द्वारा-  कानपुर का रेलवे स्टेशन कानपुर सेंट्रल काफी बड़ा है, यहाँ से सभी स्थानों की आसानी से ट्रेन मिल सकती हैं| टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार कानपुर से प्रतिदिन 300 से अधिक ट्रेन निकलती हैं| रेलवे की भाषा में सेंट्रल का तात्पर्य उन स्थानों से होता है जहाँ से अधिकतम रूट एक दुसरे से जुड़े होते हैं|

      कानपुर महानगर में मेट्रो सुविधा भी प्रारम्भ हो गयी है हालाँकि अभी यह पूरी तरह से शुरुआत न होकर कानपुर आईआईटी से केवल मोतीझील तक ही चल रही है परन्तु जल्द ही इसका संचालन पूरे प्रस्तावित मार्ग में होने वाला है| 

  • सड़क मार्ग द्वारा- कानपुर में आप सड़क मार्ग से बड़ी आसानी से लखनऊ तथा नयी दिल्ली आदि से आ सकते हैं| सरकारी बसें प्रत्येक स्थान के लिए थोड़े थोड़े समय पर उपलब्ध रहती हैं| कानपुर के अंदर भी आपको परिवहन सम्बन्धी कोई समस्या नहीं होगी और यदि आप भीड़ वाले क्षेत्रों में गाड़ी चलाने में सुलभ हैं तो आप खुद भी ड्राइव कर सकते हैं|

कानपुर के लाजवाब फ़ूड तथा रोचक तथ्य –

कानपुर में घूमने की जगह के साथ साथ कुछ लाजवाब फ़ूड जिनको कानपुर यात्रा के समय बिलकुल भी मिस नहीं किया जा सकता है तथा साथ ही जानते हैं कानपुर के बारे में कुछ रोचक तथ्य-

  1. कानपुर में आकर सुबह के ब्रेकफास्ट में कई स्थानों पर लगने वाले पूरी कचौरी के ठेले तथा मैदे की पापड़ी (सुहाल) आपको जरुर खाना चाहिए| कानपुर का मशहूर पहलवान जी का ब्रेड मक्खन आप एक बार अवश्य चखें जो की आपकी कानपुर में घूमने की जगह को यादगार बनाएगा, इनके कानपुर में अलग अलग स्थानों में 4 आउटलेट हैं|
  2. कानपुर डोसा के लिए भी काफी प्रसिद्ध है यहाँ स्थित परेड में केसरवानी डोसा तथा आईआईटी में केरला कैफ़े आदि में साउथ इंडियन फ़ूड जरूर टेस्ट करना चाहिए|
  3. कानपुर मिठाई की दुकानों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है| बनारसी मिष्टान भंडार, भीखाराम स्वीट्स, छप्पन भोग, बुधसेन मिष्ठान भंडार, मिठास, पंडित होटल आदि मिठाई की दुकान पुरानी तथा बेहतर स्वाद के लिए जानी जाती हैं| कानपुर का पर्याय ठग्गू के लड्डू जिसका फिल्मों में भी नाम आ चुका है, इनकी फेमस बदनाम कुल्फी को कौन नहीं जानता होगा? इनके स्वादिष्ट लड्डू की मांग गुजरात, महाराष्ट्र आदि जगह तक है|
  4. समोसे के लिए प्रसिद्ध कानपुर में पप्पू के अलग अलग तरह के समोसे आप अवश्य चखें| यहाँ बेकरी आइटम पसंद करने वालो के लिए मिस्टर ब्राउन एक बेहतर विकल्प हो सकता है|
  5. कानपुर एक सस्ता शहर हैं यहाँ आम आदमी के लिए काफी विकल्प मौजूद रहते हैं, कानपुर के कई स्थानों के पानी पूरी सोचने मात्र से मुह में पानी ला सकते हैं, कई जगह में पांच अलग अलग प्रकार के पानी देखने को मिलते हैं| हर ठेले का दूसरे से अलग तथा बेहतर स्वाद लगता है इसलिए किसी एक का नाम लें अन्य के साथ गलत होगा, बस आप कानपुर के जिस कोने में भी हो और जहाँ भीड़ हो तुरंत आप भी दोना लेकर वहाँ का स्वाद ले सकते हैं|
  6. वाटरसाइड, मोचा, धुआं, हवेली, सागर रत्न, टॉक ऑफ़ द टाउन, 24 कैरट, लिटिल सैफ रेस्तोरां, बार्बी क्यू नेशन तथा अंतरंग आदि प्रसिद्ध रेस्तोरां हैं|
  7. कानपुर चमड़ा उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध है, कानपुर में घूमने की जगह के साथ साथ आप जाजमऊ में चमड़े से सम्बंधित वस्तु भी खरीद सकते हैं|
  8. अगर आप किताबें पड़ने के शौकीन है तो फूलबाग में प्रसिद्ध ऐतिहासिक पार्षद पुस्तकालय भी आपकी सूची में हो सकता है|
  9. कानपुर की लाल इमली बिट्रिश समय में टेक्सटाइल के लिए पूरे विश्व में जानी जाती थी|

FAQ-

प्रश्न- इस्कान (ISKCON) मंदिर का पूरा नाम क्या है?

उत्तर-  इस्कान, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा काँनसियसनेस सोसाइटी का छोटे रूप में लिया जाने वाला नाम है|

प्रश्न- कानपुर शहर कहाँ पर स्थित है?

उत्तर- कानपुर शहर, पश्चमी उत्तर प्रदेश के मध्य में स्थित है, कानपुर शहर से राज्य की राजधानी लखनऊ की दूरी 90 किलोमीटर है| कानपुर को राज्य की औद्योगिक राजधानी के तौर पर भी जाना जाता है|

प्रश्न- कानपुर में घूमने की जगह कौन कौन सी हैं?

उत्तर कानपुर में घूमने की जगह जेके मंदिर, भीतरगाँव मंदिर, मोतीझील, कानपुर प्राणी उद्यान, कानपुर मेमोरियल चर्च, इस्कान मंदिर, जैन ग्लास मंदिर, अटल घाट, गंगा बैराज, आनन्देश्वर मंदिर, बिठूर स्थित नानाराव पार्क, वाल्मीकि आश्रम, ब्रह्मावर्त घाट, सुधांशु आश्रम, ध्रुव टीला, साईं दरबार तथा ब्लू वर्ल्ड थीम पार्क आदि प्रमुख हैं|

प्रश्न- कानपुर में घूमने की जगह के लिए कितने दिन पर्याप्त है?

उत्तर- कानपुर में घूमने की जगह को आप दो रात्रि तथा तीन दिन में आसानी से पूरा कर सकते हैं|

प्रश्न- कानपुर में घूमने की जगह के लिए कितना बजट होना आवश्यक है?

उत्तर- कानपुर एक सस्ता शहर है यहाँ पर आप अपने घर से आने के बाद 5000 से 6000 रुपये में काफी अच्छे से दो लोग घूम सकते हैं, इसमें आपके होम टाउन से कानपुर तक आने का किराया नहीं जुड़ा है|

निष्कर्ष –

कानपुर में घूमने की जगह को आस पास के शहर जैसे लखनऊ, इलाहाबाद, चित्रकूट तथा मिर्जापुर आदि उत्तर प्रदेश की जगह के साथ जोड़ कर घूमने पर आपका बजट थोडा अनुशासित हो सकता हैं| कानपुर में घूमने की जगह के साथ साथ आपको यहाँ पर कनपुरिया अंदाज और यहाँ का स्ट्रीट फ़ूड का जरुर स्वाद लेना चाहिए| कानपुर काफी मिलनसार लोगो का शहर है, लोग आपकी हमेशा सहायता करने को तैयार रहते हैं| अंत में हमेशा की तरह ‘कानपुर में घूमने की जगह’ लेख में होने वाले सुधार आप हमें बता सकते हैं, यदि इस पोस्ट ने आपका ज्ञानवर्धन किया हो तो लोगो को साझा करें| एक अच्छे पाठक की तरह अंत तक पढने के लिए धन्यवाद|

-दीक्षा दीक्षित

यह भी पढ़े-

3 thoughts on “कानपुर में घूमने की जगह”

    1. धन्यवाद आपका, आपके सुझाव हमेशा आमंत्रित है| हमारे नये पोस्ट को इसी प्रकार प्रेम दे तथा लोगो के साथ साझा करे

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top