गोवर्धन में घूमने की जगह (ब्रज यात्रा विवरण -4)

गोवर्धन में प्रवेश करने से पहले बोलते हैं, राधे-राधे! और अब चलिए चलते हैं अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं गोवर्धन में घूमने की जगह में| जैसा की आप सभी को पता है कि मथुरा का एक एक कोना कृष्ण की बाल लीलाओं, उनकी प्रेम लीलाओं से परिपूर्ण है , उसी तरह मथुरा में स्थित गोवर्धन  भी प्रभु श्री कृष्ण के लीलाओं और उनके भक्तों के प्रति अपार प्रेम की बहुत सी कहानियां अपने में समेटे हुए है| गोवर्धन मथुरा से 22 किलोमीटर तथा वृन्दावन से 24 किलोमीटर की दूरी पर है|

     गोवर्धन की परिक्रमा हेतु दूर – दूर से श्रद्धालु आते हैं, अपने आस्था और विश्वास के साथ इस पवित्र गिरिराज पर्वत की 21 किलोमीटर की परिक्रमा को पूरा करते हैं| तो इस लेख में हम जानेंगे उन स्थानों के बारें में जिन्हें आपको गोवर्धन में घूमने की जगह में अवश्य शामिल करना चाहिए, जिससे आप प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति में डूब जायेंगे|

गोवर्धन में घूमने की जगह का पौराणिक महत्त्व-

वैसे तो गोवर्धन को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं पर जिसका जिक्र सबसे अधिक होता है वह स्वयं गोवर्धन पर्वत है| कहा जाता है जब ब्रजवासियों से इंद्र देव नाराज हो गए थे तो इसके फलस्वरूप उन्होंने ब्रज में भयंकर वर्षा की थी तब कृष्ण जी ने स्वयं गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर सभी ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था और इंद्र देव का घमंड चूर- चूर किया था जिसका दृश्य गोवर्धन के दान घाटी मंदिर में देखने को मिलता है|

गोवर्धन में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?

गोवर्धन आने के लिए यहाँ का सबसे नजदीकी स्थान मथुरा है, जहाँ तक आप किसी भी शहर से ट्रेन, या बस के माध्यम से आ सकते हैं| मथुरा में अभी एअरपोर्ट नहीं हैं|  मथुरा आने के बाद आप गोवर्धन के लिए ऑटो, ई-रिक्शा अथवा टैक्सी ले सकते हैं| जयपुर से गोवर्धन की ट्रेन भी चलती है, अगर आप जयपुर के आस पास के स्थान में रहते हैं तो यह ट्रेन आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकती है| यहाँ पर रहने के लिए होटल और धर्मशाला उचित मूल्य पर मिल जाते हैं| भोजन के लिए भी विभिन्न प्रकार के स्ट्रीट फ़ूड और अच्छे रेस्टोरेंट भी आसानी से मिल जाते हैं|

गोवर्धन में घूमने की जगह को कब करें प्लान?

गोवर्धन में घूमने की जगह के लिए सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच का समय सबसे अच्छा है| इस समय में न ही ज्यादा गर्मी पड़ती है, न ही बारिश अधिक होती है, तो यह समय गोवर्धन में घूमने की जगह के लिए सबसे उपयुक्त है|

यहाँ पर होली और जन्माष्टमी में प्लान कर सकते है, क्यूंकि यह त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं लेकिन इस समय यहाँ पर भारी मात्रा में भक्तों की भीड़ होती है|

गोवर्धन में घूमने की जगह

दान घाटी मंदिर-

दान घाटी मंदिर का अपना अलग महत्त्व है, कहते हैं कि यहाँ पर कृष्ण जी गोपियों से माखन का दान लिया करते थे जिसके कारण इस जगह को दान घाटी बोला जाता है| गोवर्धन की परिक्रमा भी इसी मंदिर के दर्शन के बाद शुरू की जाती है जो की 21 किलोमीटर की होती है|

     इस मंदिर में जब श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने हेतु गोवर्धन को उठाया था, उसका मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता है, तो इस दृश्य को देखने के लिए आपको निश्चित ही इस स्थान को गोवर्धन में घूमने की जगह में रखना चाहिये|

गोवर्धन में घूमने की जगह
photo source- wikipedia

इस परिक्रमा मार्ग में आगे बढने पर हमें संकर्षण कुंड के भी अद्भुत दर्शन करने को मिलते हैं| कहते हैं इस कुंड का निर्माण बलराम जी के स्पर्श से हुआ है, इसी कुंड में इंद्र के प्रकोप से जो बाढ़ आई थी उसका जल समाहित है| 

पूंछरी का लौठा-

यह भगवान कृष्ण के परम सखा हैं, इनके दर्शन के बिना गोवर्धन की परिक्रमा अधूरी मानी जाती है| यहाँ पर माखन, मिश्री, दूध, और रबड़ी का भोग लगता है| यह स्थान भी गोवर्धन की परिक्रमा के रास्ते में ही पड़ता है, इसलिए आपको इस स्थान को गोवर्धन में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|

कहा जाता है, की ये सतयुग में शंकर, त्रेता युग में हनुमान तथा द्वापर युग में मधुमंगल हैं| यहाँ के संतो का कहना है कि श्री कृष्ण ने स्वयं अपने सखा को यहाँ पर भक्तों की हाजिरी लगाने का कार्यभार सौंपा है कि जो भी भक्त परिक्रमा करता है, उसे यहाँ भी दर्शन करने पड़ेंगे, तभी उनकी परिक्रमा पूर्ण मानी जाएगी|

जातिपुरा मुखारविंद-

यह वही स्थान है, जहाँ पर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से आई हुई बाढ़ से बचाने के लिए श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था और इंद्र के घमंड का नाश किया था|

     यहाँ पर सुबह में मंगल आरती भी होती है, इसका अवश्य ही आनंद लेना चाहिए जिससे आप प्रभु श्री कृष्ण की भक्ति में डूब जायेंगे| इस स्थान की महिमा का अनुभव करने के लिए आपको इसे गोवर्धन में घूमने की जगह में जरुर ही शामिल करना चाहिए|

जातिपुरा की जलेबी बहुत मशहूर हैं, इनका स्वाद लाजवाब है| यह जलेबी आलू, दूध, दही और सिंघाड़े के आटे से बनती हैं|

राधा कुंड-

यहाँ पर मुख्यता दो कुंड के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है, एक तो राधा कुंड और उसी के बगल में श्याम कुंड| यह भी गोवर्धन के परिक्रमा मार्ग पर ही पड़ता है|

     यहाँ की मान्यता है की जिस दंपत्ति को संतान न हो रही हो, उनको यहाँ पर अहोई अष्टमी के अवसर पर अवश्य ही स्नान करना चाहिए, जिससे प्रभु की कृपा से जल्दी ही उस भक्त को संतान का सुख प्राप्त होता है| इस कुंड में आस्था और विश्वास के साथ यह परंपरा वर्षों से मानी जा रही है|

राधा कुंड के बारें में एक पौराणिक कथा है कि एक बार श्री कृष्ण जी अपने मित्रों के साथ यहाँ पर गाय चरा रहे थे| इस दौरान अरिष्टासुर नामक राक्षस गाय का रूप लेकर उन्हीं गायों के बीच में उनकी गायों और ग्वाल बालों को मारने लगा तब प्रभु को ज्ञात हुआ कि यह मेरी गाय नहीं बल्कि एक राक्षस है और श्री कृष्ण जी ने अरिष्टासुर का वध कर दिया|

     जब यह बात राधा जी को पता चली, तो उन्होंने कहा आपको गौ हत्या का पाप लगेगा इसलिए आपको इस पाप से बचने के लिए सभी तीर्थो में स्नान करना पड़ेगा| तब कृष्ण जी ने स्वयं इस कुंड का निर्माण करा और सभी तीर्थो का आवाह्न किया जिससे सभी तीर्थो ने यहाँ पर इकट्ठा होकर प्रभु श्री कृष्ण को स्नान कराया और इसे श्याम कुंड कहा जाता है तथा इसी के बगल में राधा जी ने अपने कंगन से एक कुंड का निर्माण करा जिनमें सभी तीर्थो का जल इकट्ठा हुआ, इसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है|

कुसुम सरोवर-

बहुत ही सुन्दर और मन को मोह लेने वाला स्थान, जहाँ पर राधा जी और गोपियाँ पुष्पों का चयन करने आती थीं| यह सरोवर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है, जहाँ आप शांति और सुखद अनुभव करेंगे|

प्राचीन सरोवर का निर्माण राजा वीर सिंह देव ने कराया था जबकि इसका नया भव्य स्वरुप भरतपुर नरेश सूरज मल ने बनवाया| इसका भव्य स्वरुप निहारने योग्य है, जिसके कारण आपको इस स्थान को गोवर्धन में घूमने की जगह में शामिल जरुर करना चाहिए|

गोवर्धन में घूमने की जगह
photo source- wikipedia

वैसे तो यह स्थान भी परिक्रमा मार्ग में ही पड़ता है, लेकिन कोई इसको अलग से भी घूमना चाहे तो अपने साधन के माध्यम से जा सकते हैं|

मानसी गंगा–

यह भगवान के मन से प्रकट हुई, इसीलिए इसको मानसी गंगा कहते हैं| यहाँ पर पास में ही गंगा जी, राधा-कृष्ण तथा बलराम जी के मंदिर भी हैं| ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर जो भी व्यक्ति स्नान करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है|

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गोवर्धन की यात्रा के पूर्व ‘मथुरा में घूमने की जगह’ नामक लेख को भी पढें, इससे आपको गोवर्धन घूमने में भी काफी सहायता मिलेगी| अधिक जानकारी के लिए इसे भी पढ़ें- https://mathura.nic.in/

गोवर्धन कैसे पहुंचें?

हवाई मार्ग द्वारा- अभी गोवर्धन या मथुरा में कोई भी एअरपोर्ट सुविधा नहीं है| इसके सबसे नजदीक का एअरपोर्ट आगरा में है| आगरा से मथुरा की दूरी 59 किलोमीटर है|

रेलमार्ग के द्वारा- गोवर्धन पहुँचने के लिए सबसे आसान तरीका है कि आप ट्रेन से मथुरा आ जाइये,वहां से ऑटो, ई-रिक्शा के माध्यम से गोवर्धन आ सकते हैं| इसके अलावा कुछ स्टेशन जैसे जयपुर से गोवर्धन की ट्रेन भी आती हैं|

सड़क मार्ग द्वारा- सड़क मार्ग द्वारा गोवर्धन आने के लिए आपको मथुरा आने के बाद वहां से ऑटो, ई-रिक्शा की सुविधा मिल जाएगी जिससे आप गोवर्धन की यात्रा कर सकते हैं|

FAQ-

प्रश्न- गोवर्धन की परिक्रमा कितने किलोमीटर की है?

उत्तर- गोवर्धन की परिक्रमा 21 किलोमीटर की है, जिनमें से एक छोटी परिक्रमा और दूसरी बड़ी परिक्रमा होती है|

प्रश्न- गोवर्धन में घूमने की जगह कौन- 2 सी हैं?

उत्तर- दान घाटी मंदिर, पूंछरी का लौठा, कुसुम सरोवर, राधा कुंड, तथा जातिपुरा मुखारविंद आदि गोवर्धन में घूमने की जगह हैं|

प्रश्न- गोवर्धन में घूमने की जगह के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?

उत्तर- गोवर्धन में घूमने की जगह के लिए सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच का समय सबसे अच्छा है|

प्रश्न- गोवर्धन की मथुरा तथा वृन्दावन से दूरी कितनी है?

उत्तर- गोवर्धन मथुरा से 22 किलोमीटर तथा वृन्दावन से 24 किलोमीटर की दूरी पर है|

निष्कर्ष-

गोवर्धन का प्लान आप जब भी बनाएं , तो उसको मथुरा, वृन्दावन तथा बरसाना के साथ ही बनाएं जिससे आप अधिक से अधिक घूम भी पाएँगे और आपका बजट भी खराब नही होगा|

उम्मीद है आपको हमारा लेख ‘गोवर्धन में घूमने की जगह’ पसंद आया होगा| किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम माफ़ी चाहते हैं और आपसे सहयोग की आशा करते हैं| हमारे लेख को अंत तक पढने के लिए बहुत – बहुत आभार| राधे-राधे!

दीक्षा दीक्षित

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