गोकुल में घूमने की जगह आपको यहाँ पर बहुत आनंद देंगी क्यूंकि इसी गांव की गलियों में भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया है | ये भी कहा जाता है की यहाँ के लोग कभी गाय बेचते नहीं हैं क्यूंकि भगवान कृष्ण जी गाय चराने ले जाया करते थे | जो भी कोई गोकुल की गलियों में जाता है, वह वहीँ का होकर रह जाता है | यहाँ की एक एक गली आपको ऐसा आनंद देगी जैसे मानों आप स्वयं उन चित्रों का अनुभव कर पाएंगे और खो देंगे स्वयं को उन पलों में | गोकुल के बारे में कहा जाता है की भगवान यहाँ पर गोपियों का माखन चुरा कर उनकी मटकियाँ फोड़ दिया करते थे|
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गोकुल में घूमने की जगह में जो यहाँ का मुख्य स्थान है वह है नन्द चौक जहाँ पर आपको कई तरह की दुकाने दिखेंगी जिनमे कही सब्जी पराठा तो कही मूंगफली तो कही मिठाइयाँ हैं जिसमे से यहाँ का पराठा सब्जी बहुत ही मशहूर है | यह पराठा शुद्ध घी का होता है और 4 तरह के आटों से मिलकर बनता है जो की है गेहूँ, चना, जौ और मक्का|
इसके बाद अगर आप मीठे के शौकीन हैं तो आपको यहाँ की रबड़ी अवश्य खानी चाहिए जो की यहाँ पर शुद्ध गाय के दूध की बनती है | गोकुल के बारे में कहा जाता है की भगवान यहाँ पर गोपियों का माखन चुरा कर उनकी मटकियाँ फोड़ दिया करते थे| महावन के खीर मोहन यहाँ की मशहूर मिठाइयों में एक है |
गोकुल में घूमने की जगह का पौराणिक महत्त्व
गोकुल ही वह जगह है जहाँ भगवान कृष्ण का बचपन बीता है यहाँ पर ही नन्द के लाला ने माखन चुराया, कभी माँ यशोदा के द्वारा ऊखल से बांधे गए तो कभी माँ को अपने मुख में समस्त ब्रह्माण्ड के दर्शन कराये| ऐसा कहा जाता है, गोकुल में ही माँ यशोदा ने अपने कन्हैया की छठी भी की थी |
गोकुल के बारे में एक पौराणिक कथा भी है-
दो गन्धर्व सरोवर में स्नान कर रहे थे , वहां से नारद जी जा रहे थे और उन्होंने नारद जी को प्रणाम नहीं किया जिससे नारद जी को क्रोध आ गया की ये लोग जड़ की भांति खड़े हैं और प्रणाम नहीं किया तो नारद जी ने उन्हें श्राप दे दिया कि तुम दोनों वृक्ष बन जाओ जिसके बाद गन्धर्वों को उनकी गलती का एहसास हुआ और वह नारद जी के पास गए की हमें माफ़ कर दीजिये, तो नारद जी ने कहा तुम दोनों नन्द बाबा के आँगन में जाकर वृक्ष बनोगे , वहां पर जैसे ही भगवान का स्पर्श तुम दोनों को होगा तुम्हारा उद्धार हो जायेगा , इसी स्थान को दामोदर लीला कहते हैं|
इस स्थान को गोकुल में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|
गोकुल में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान
सबसे पहले आप अपने शहर से मथुरा आ जाइये जिसके लिए आपको कहीं से भी आसानी से ट्रेन, बस मिल जायेंगी| मथुरा में अभी कोई एअरपोर्ट नहीं है जिसकी वजह से यहाँ फ्लाइट की सुविधा उपलब्ध नहीं है| मथुरा आने के बाद आप ऑटो टैक्सी या ई रिक्शा के माध्यम से गोकुल आ सकते हैं| बजट को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने के लिए आपको मथुरा, वृन्दावन तथा गोकुल का प्लान एक साथ करना चाहिए, जिससे आप कम बजट में ज्यादा जगह घूम पाएंगे|
गोकुल में घूमने की जगह को कब करें प्लान
गोकुल में घूमने की जगह के लिए सबसे बेहतरीन समय सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच का है क्यूंकि इस समय न ज्यादा गर्मी होती है न ही बारिश ज्यादा होती है | अगर आप दिसम्बर या जनवरी में यहाँ का प्लान करते हैं तो आपको सर्दी का सामना करना पड़ सकता है |
गोकुल में घूमने की जगह
84 खम्भा मंदिर
गोकुल से 4 किलोमीटर दूर एक मंदिर है जिसके लिए दावा किया जाता है की यह भी भगवन कृष्णा का घर है जिसे नन्द भवन के नाम से भी जाना जाता है| इस जगह का गोकुल में घूमने की जगह में अपना विशिष्ट स्थान है| भगवान कृष्ण के जन्म से पहले यशोदा माँ और नन्द बाबा यहीं रहा करते थे |यह महावन गाँव में है इसे ही 84 खम्भा मंदिर भी कहते हैं |
इस गाँव के द्रश्य को देखकर प्रतीत होता है की यह गाँव बहुत ही प्राचीन है| यहाँ पर भी पूतना मोक्ष है| भगवन कृष्णा ने इशे विश्वर्मा के द्वारा बनवाया था| यह जगह रमण रेती आश्रम से 500 मीटर दूर है और 84 खम्भा मंदिर से ब्रह्माण्ड घाट की दूरी भी 500 मीटर है| ऐसी मान्यता है यहाँ के दर्शन से चार धाम की यात्रा का फल मिलता है|
ऐसा कहा जाता है यहाँ भगवान कृष्ण ने 11साल 1 महिना 22 दिन बिताये थे | यहाँ पर मोबाइल और कैमरा भी ले जा सकते हैं | खम्भों को देख कर लगता है की यह बहुत ही प्राचीन हैं , इन पर भगवान कृष्णा से जुडी लीलाएं भी देखने को मिलती हैं, इन खम्भों को देखकर मंदिर की प्राचीनता का एहसास होता है |
वासुदेव जी कृष्णा जी को नन्द भवन में छोड़ कर गए और यहाँ से योगमाया जी को ले गए | इस मंदिर में बलराम जी जब वह राजा बने थे तब की प्रतिमा है जिसमे एक तरफ नन्द बाबा और दूसरी ओर माँ यशोदा हैं | यहीं पर बलराम जी की उनकी पत्नी रेवती जी के साथ भी प्रतिमा मौजूद है साथ ही साथ उनके भाई भगवन कृष्णा और बहन योगमाया भी हैं तथा बाल कृष्णा भी झूले में हैं | अगर आप कृष्णा जी के बचपन के स्वरुप को भली भांति जानना चाहते हैं, तो आपको इस मंदिर को गोकुल में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|
यहाँ पर झांकियों के दर्शन भी कराये गए हैं जिसमें बताया गया है किस तरह से वासुदेव जी कृष्णा जी को मथुरा से गोकुल लेकर आये | यहीं पर नन्द भवन में एक और दृश्य है जो कि ऊखल बंधन है , जब भी भगवन सैतानियाँ करते थे तो माँ यशोदा उन्हें यहाँ पर ऊखल से बांधती थीं, जिसमे भगवान प्रेम की रस्सी से बांध जाते थे | नन्द महल में ही भगवान अपने माँ यशोदा और नन्द बाबा के साथ रहते थे| उसी के बायीं तरफ पूतना मोक्ष भी है, जहाँ पर भगवान कृष्णा के मामा द्वारा भेजी गयी पूतना जब उन्हें मरने आई थी, तो भगवान ने इसी जगह उसे मोक्ष प्रदान किया था|
रमण रेती
रमण रेती भी गोकुल में घूमने की जगह में से एक है| यह मथुरा और गोकुल के बीच में पड़ता है, मंदिर के बाहर ही पक्षियों के रहने के लिए एक जाल लगाया गया है जिसमे बारह सिंगा , शुतुरमुर्ग और हिरन जैसे जीव देखने को मिलते हैं | आप भी यहाँ पर बाहर से दाने लेकर इन जीवों को खिला सकते हैं |
यहाँ के लोगों का मानना है कि श्री कृष्ण ने यही पर चलना सिखा और उनके चरणों की धूल यहाँ मौजूद है| इस मंदिर में रेत ही रेत है| इस रेत में लोग लेटते हैं क्यूंकि उनका मानना है कि यह जगह श्री कृष्णा की बाल लीलाओं से जुडी हुई है और यहाँ की रेत से लोगों की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं |
यहाँ पर लोग रेत से मंदिर भी बनाते हैं क्यूंकि ऐसी यहाँ के लोगों की आस्था है की यहाँ पर मंदिर बनाने से लोगों को बैकुंठ में ये मंदिर मिलते हैं| यहाँ पर राधा कृष्णा की अष्ट धातु की मूर्ति है | यहाँ की मान्यताओं और यहाँ की शोभा को निहारने के लिए इस स्थान को गोकुल में घूमने की जगह में जरुर रखना चाहिए|
यहाँ पर विभिन्न तरह की चित्रकला दीवारों पर देखने को मिलती है जो की मंदिर की शोभा में चार चाँद लगाती है | यहाँ की आरती में हाथी भी आता है इसलिए इस जगह को आपको गोकुल में घूमने की जगह में अवश्य शामिल करना चाहिए| यहाँ पर साधू संतो की कुटिया भी बनी हुई हैं, कहते हैं यहाँ पर संत रसखान ने भी कृष्णा जी की भक्ति की थी| यहीं पर रसखान जी ने अपना शरीर त्यागा था| यहाँ पर संत रसखान जी का समाधि स्थल भी बना हुआ है|
रमण रेती का दृश्य
यहाँ पर रमण सरोवर भी है जो की परिक्रमा मार्ग के छोर पर है, यह सरोवर बहुत ही पवित्र माना जाता है, इसके दर्शन के लिए भी काफी श्रद्धालु आते हैं और यहाँ पर स्नान भी करते हैं
चिंताहरण महादेव मंदिर
जब प्रभु श्री कृष्ण ने माटी खायी तो माँ यशोदा ने चिंतावश उनसे मुंह खोलने को कहा, माँ की आज्ञा का पालन करते हुए श्री कृष्ण जी ने मुंह खोला तो माँ को भगवन के मुंह में समस्त ब्रह्माण्ड दिखा जिसके कारण माँ यशोदा घबरा गयी और उन्होंने शिव जी की आराधना की, और उन्हें ज्ञात हुआ कि श्री कृष्ण जी स्वयं देवता हैं तब शिव जी ने माँ यशोदा की चिंता का हरण किया तभी से चिंताहरण महादेव की पूजा हो रही है | मान्यता है कि यहाँ शिवलिंग पर जल चढ़ाने से 1108 शिवलिंग में जल चढ़ाने का पुण्य मिलता है |
इस मंदिर में दर्शन मात्र से महादेव सबकी चिंताएं दूर कर देते हैं इसलिए इस मंदिर को भी गोकुल में घूमने की जगह में जरुर शामिल करना चाहिए | मंदिर के दूसरी ओर हनुमान जी, राधा कृष्ण जी और श्री शनि देव जी की भी प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं |
ब्रह्माण्ड घाट
ब्रह्माण्ड घाट भी गोकुल में घूमने की जगह में से एक है| यह वही स्थान है जहाँ पर यमुना के किनारे पर भगवान श्री कृष्ण जी ने माटी खाकर माँ यशोदा को मुख खोल कर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के दर्शन कराये थे, इसीलिए इस स्थान को ब्रह्माण्ड घाट कहा जाता है | यहाँ पर मिट्टी का प्रसाद भी मिलता है, यहाँ पर श्री कृष्ण जी को ब्रह्माण्ड बिहारी जी के नाम से जाना जाता है|
गोकुल कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग के द्वारा- यहाँ अभी एअरपोर्ट नहीं है| इसके सबसे नजदीक का एअरपोर्ट आगरा एअरपोर्ट है, जिसकी दूरी यहाँ से 495 किलोमीटर है|
रेलमार्ग के द्वारा- पहले आप अपने शहर से मथुरा आ जाइये जिसके लिए आपको आपके शहर से भी आसानी से ट्रेन मिल जायेंगी| मथुरा आने के बाद आप ऑटो टैक्सी या ई रिक्शा के माध्यम से गोकुल आ सकते हैं और यहाँ की भगवान श्री कृष्णा की बाल लीलाओं का आनंद ले सकते हैं |
सड़क मार्ग द्वारा- आप यहाँ पर सड़क मार्ग का उपयोग करके आसानी से घूम सकते हैं क्यूंकि यहाँ पर साधन आसानी से मिल जाते हैं और यहाँ पर घूमने की जगह भी काफी पास – पास हैं, जिसकी वजह से आप यहाँ कम बजट में अच्छे से घूम सकते हैं |
FAQ-
प्रश्न- गोकुल कैसे पहुँच सकते हैं?
उत्तर – पहले आप अपने शहर से मथुरा आ जाइये जिसके लिए आपको आपके शहर से आसानी से ट्रेन मिल जायेंगी| मथुरा आने के बाद आप ऑटो टैक्सी या ई रिक्शा के माध्यम से गोकुल आ सकते हैं
प्रश्न- गोकुल में घूमने की जगह कौन – कौन सी हैं?
उत्तर– 84 खम्भा मंदिर, ब्रह्माण्ड घाट, चिंताहरण महादेव मंदिर, रमण रेती आदि गोकुल में घूमने की जगह हैं|
निष्कर्ष-
गोकुल में घूमने की जगह के साथ ही साथ आप वृन्दावन और मथुरा भी घूम सकते हैं | इससे आप कम बजट में ज्यादा जगह आसानी से घूम पाएंगे और श्री कृष्ण भगवान के बचपन और बाल लीलाओं का अधिक आनंद ले पाएंगे और ये गोकुल की गलियां आपको बार- बार यहाँ पर आने के लिए विवश कर देंगी| चलिए तो फिर बोलिए राधे- राधे ! इस लेख में किसी भी तरह की त्रुटी लगे तो हमें जरुर बताएं, आपके सुझाव हमेशा आमंत्रित हैं| ‘ गोकुल में घूमने की जगह’ लेख पढने के लिए आपका आभार| अगर अच्छा लगे तो अपने प्रियजनों के साथ भी साझा करें| धन्यवाद|
यह भी जानें-
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