बनारस में घूमने की जगह

गंगा नदी के किनारे बसा बनारस, हिन्दू धर्म का एक पवित्र स्थल है जहाँ के कण-कण में भोलेनाथ बसे हैं इसीलिए इसे भोलेनाथ की नगरी भी कहा जाता है| बनारस में घूमने की जगह की बात की जाये तो यहाँ पर स्थित मंदिर और घाट बनारस की शोभा बढ़ाते हैं| बनारस को काशी और वाराणसी के नाम से भी जाना जाता है| यह स्थान अपनी प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहर को आज भी संजोये हुए है, और इसकी यह खूबियाँ ही इसे और खास बनाती हैं जिसके कारण यहाँ देश-विदेश से पर्यटक इस भूमि के स्पर्श के लिए आते हैं|

बनारस आध्यात्म की नगरी है, जो आपको इसकी सांस्कृतिक धरोहर का साक्षात्कार कराती है| वाराणसी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है क्योंकि  यहाँ पर लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते हैं| इतिहास से भी पुराना शहर बनारस वास्तुकला और शिल्पकला का भी केंद्र है

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बनारस में घूमने की जगह का पौराणिक महत्त्व-

बनारस के महत्त्व का बखान यहाँ की संस्कृति और धार्मिकता स्वयं करते हैं| गंगा नदी के तट पर बसे इस पवित्र स्थल को किसी भी प्रमाणिकता की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस नगरी के कण-कण में स्वयं शिव जी हैं| पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव जी ने स्वयं इस नगरी की स्थापना की| बनारस, हिन्दू धर्म का एक पवित्र स्थान है, जिसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है| बनारस में काशी विश्वनाथ, विशालाक्षी मंदिर, संकटमोचन हनुमान मंदिर जैसे पवित्र मंदिर इस स्थान को और अधिक दिव्य बनाते हैं|

बनारस में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?

आप अपने शहर से फ्लाइट, ट्रेन तथा बस आदि के माध्यम से आसानी से बनारस आ सकते हैं| बनारस फ्लाइट तथा ट्रेन के माध्यम देश के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है| बनारस के आस पास के जिलों से आने के लिए आपको बस की सुविधा भी आसानी से मिल सकती है| उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वाराणसी की दूरी 312 किलोमीटर है|

अगर आप किसी विशेष त्यौहार या फिर वीकेंड पर प्लान कर रहें हों तो आपको यहाँ पर भीड़ का सामना करना पड़ सकता है| अगर इस समय में आप स्वयं के साधन से आने की सोच रहें हों तो आपको यहाँ पर ट्रैफिक और पार्किंग की सुविधा थोडा परेशानी में डाल सकती है|

बनारस में घूमने की जगह को कब करें प्लान?

बनारस घूमने के लिए सबसे बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च का है क्योंकि इस समय न गर्मी होती है, न ही बारिश| बारिश के समय जलस्तर बढ़ जाने के कारण सभी जगह बोटिंग बंद कर दी जाती है जिससे आप बोटिंग के आनंद से वंचित रह जाते हैं| खाने पीने के शौक़ीन लोगों के लिए इस मौसम में कई विकल्प बढ़ जाते हैं|

अगर त्योहारों की बात करें तो यहाँ पर देव दीपावली, महाशिवरात्रि, गंगा महोत्सव, होली, मकर संक्रांति, अन्नकूट बड़े धूम धाम से मनाये जाते हैं तो इन त्योहरों पर आप वाराणसी घूम सकते हैं लेकिन इस समय यहाँ श्रद्धालुओं का हुजूम रहता है|

बनारस में घूमने की जगह-

1. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

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काशी के कण-कण में बसे बाबा भोलेनाथ का यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है तथा गंगा माँ के तट पर स्थित है जहाँ पर प्रवेश हेतु 4 मुख्य द्वार हैं| यहाँ पर शिव जी के स्पर्श दर्शन भक्तों हेतु फ्री में कराए जाते हैं जिसके लिए आपको सुबह जल्दी दर्शन हेतु जाना होगा और आप शिव जी के स्पर्श दर्शन का सुखद अनुभव कर पाएंगे| बाबा भोलेनाथ के ऐसे दिव्य दर्शन के लिए इस स्थान को बनारस में घूमने की जगह में शामिल भला कौन नहीं करेगा? भगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी काशी में भोलेनाथ के दर्शन बिना काशी यात्रा पूर्ण नहीं हो सकती|

2. संकटमोचन हनुमान मंदिर

जैसा कि नाम से ही ज्ञात है कि इस मंदिर के दर्शनमात्र से सभी भक्तों के संकट हनुमान जी हर लेते हैं| ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास जी ने यहाँ पर हनुमान जी के दर्शन हेतु तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर हनुमान जी ने तुलसीदास जी को साक्षात् दर्शन दिए थे और दर्शन देने के उपरांत हनुमान जी अपना विग्रह यहाँ छोड़ गए| लोगों का मत है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा किसी के द्वारा बनाई हुई नहीं है बल्कि स्वयं प्रकट हुई है|

यहाँ पर हनुमान जी के ईष्ट प्रभु राम का मंदिर भी है| अप्रैल के महीने में संकट मोचन मंदिर में संगीत समारोह होता है जिसमें बड़े- बड़े संगीतकार हिस्सा लेते हैं और अपने आपको ऐसी पावन स्थली पर प्रस्तुति करने के लिए सौभाग्यशाली मानते हैं| ऐसे पतित पावन स्थान को बनारस में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|

3. दशाश्वमेध घाट

पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान दशाश्वमेध घाट जिसके नाम से ही ज्ञात है कि यहाँ पर 10 अश्वमेध यज्ञ हुए थे, जहाँ आकर आप गंगा नदी में स्नान भी कर सकते हैं| यहाँ पर आप नौका विहार का भी आनंद ले सकते हैं लेकिन गंगा नदी में जल स्तर बढ़ जाने पर सुरक्षा की दृष्टि से नौका विहार पर पाबन्दी लगा दी जाती है| यहाँ पर होने वाली शाम की गंगा आरती आपको एक अलग ही सुखद अनुभव देगी, जिसमें आप अपनी सारी चिंताएं भूल जायेंगे| यहाँ की आरती के समय गंगा में दीपों का दिखने वाला प्रतिबिम्ब और चारों ओर होने वाली रोशनी, इस आध्यात्मिक दृश्य को अपने आप में समेटने को विवश करती है|

4. तुलसी मानस मंदिर

मान्यता है कि यह स्थान 500 वर्ष पुराना है और यहीं पर तुलसीदास जी ने अपना जीवन व्यतीत किया और महाकाव्य ‘श्री रामचरितमानस’ की भी रचना की| यहाँ पर तुलसीदास जी का खडाऊं भी है जिसकी पूजा की जाती है|

यहाँ पर पास में ही तुलसी घाट भी है जहाँ पर आप नौका विहार का आनंद ले सकते हैं|

5. गोपाल मंदिर

गोपाल मंदिर में प्रभु के 3 स्वरुप के दर्शन होते हैं, जिसमें से एक द्रौपदी के ठाकुर जी है (यह वह स्वरुप है जो कृष्ण जी ने स्वयं अपने हांथों से द्रौपदी को दिया था), दूसरा स्वरुप वल्लभ सृष्टि के सृष्टिनिधि श्री मुकुंद राय जी का है तथा तीसरा स्वरुप गोपीनाथ जी का है|

गोपाल मंदिर में स्थित बगीचे में ध्वज के दर्शन भी किये जाते हैं तथा यहाँ पर गिरिराज जी के प्रतीकात्मक स्वरुप के भी दर्शन होते हैं| यहाँ पर गोस्वामी तुलसीदास जी की गुफा भी है, जहाँ पर तुलसीदास जी ने विनयपत्रिका की रचना की|

6. नमो घाट

प्रक्रति प्रेमियों के लिए बेहद ही शांत और सुन्दर स्थान जहाँ के दृश्य बनारस की संस्कृति की झलक दिखाते हैं| आप नमो घाट अपने परिवार और मित्रजनों के साथ आकर समय व्यतीत कर सकते है तथा नौकाविहार भी कर सकते है, यहाँ का खुशनुमा माहौल आपको बेहद ही सुकून देगा| अपनी बनारस यात्रा को आनंदमय बनाने के लिए इस स्थान को बनारस में घूमने की जगह में शामिल करना न भूलें|

7. दुर्गा मंदिर

यह प्राचीन मंदिर 18वीं सदी में बनाया गया था| लाल पत्थरों से बना यह भव्य मंदिर नागौर शिल्प का एक अच्छा उदाहरण है| यहाँ माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरुप की पूजा होती है तथा यहाँ पर एक प्राचीन कुंड भी है| यहाँ पर भैरव जी, लक्ष्मी जी, माँ सरस्वती तथा काली जी के भी मंदिर हैं|

8. विश्वनाथ मंदिर, बी.एच.यू

शांत और हरे भरे वातावरण के बीच बना यह दिव्य मंदिर, शिव जी के कई रूप को अपने में संजोये हुए है| बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रांगण के अन्दर बना यह विशाल मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है| यहाँ पर भगवान शिव के शिवलिंग रूप, पंचमुखी शिव तथा नटराज शिव के रूप की पूजा की जाती है|

9. माँ अन्नपूर्णा मंदिर

अन्न का भंडार सदैव भरने वाली माँ अन्नपूर्णा का मंदिर बनारस में घूमने की जगह में एक विशिष्ट स्थान रखता है| यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में ही है|

10. कालभैरव मंदिर

कालभैरव जी को “काशी का कोतवाल” कहा जाता है क्योंकि बिना इनकी अनुमति के कोई भी बनारस में नहीं रह सकता है| कालभैरव मंदिर बनारस का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन मंदिर है, जहाँ पर रविवार को भक्तों की भारी संख्या में भीड़ रहती है क्योंकि रविवार को कालभैरव के दर्शन का विशेष महत्त्व बताया जाता है|

11. संकठा मंदिर

सभी के संकटों को हरने वाली माँ संकठा मंदिर का बनारस में एक महत्वपूर्ण स्थान है| मंदिर परिसर में 9 ग्रहों के मंदिर भी हैं|

12. भारत माता मंदिर

यहाँ पर किसी भगवान की प्रतिमा नहीं है| मंदिर का निर्माण स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिव प्रसाद गुप्ता ने कराया था और इसका उदघाटन महात्मा गाँधी जी ने 1936 में किया था| इस मंदिर की सुन्दरता यहाँ आते ही सुन्दर अक्षरों में लिखे हुए बन्दे मातरम से दिखाई देती है| इस मंदिर में इसके आकर्षण का केंद्र भारत तथा इसके पड़ोसी देशों पर आधारित संगमरमर से बना मानचित्र है जिसमें हिमालय, चाइना, श्री लंका, बंगाल की खाड़ी, अपने प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, तथा अन्य कई स्थानों आदि का चित्रण है|

13. म्रत्युन्जय मंदिर

म्रत्युन्जय महादेव, जो मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं| धार्मिक महत्वों से भरपूर यह मंदिर बनारस में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है| इस मंदिर में धन्वन्तरी कूप है जिसके बारे में मान्यता है यहाँ का जल विभिन्न प्रकार के रोगों को नष्ट कर देता है|

14. विशालाक्षी मंदिर

माता सती को समर्पित यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो इसके महत्त्व को अपने आप में विशिष्ट बनाता है| यहाँ पर माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी| इस शक्तिपीठ का उल्लेख देवी पुराण में किया गया है|

15. सारनाथ

भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित यह मंदिर अपने आप में एक विशिष्ट स्थान रखता है| भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं सारनाथ में दिया था और यहीं पर पहले संघ की स्थापना भी की|

16. भारतकला भवन

भारतीय कला का अनोखा संग्रह जहाँ पर 1 लाख से भी ज्यादा कलाकृतियाँ हैं| यहाँ पर मुग़ल काल और गुप्त काल से जुड़े विभिन्न प्रकार के संग्रह हैं| इतिहास में रूचि रखने वालों के लिए यह स्थान बनारस में घूमने की जगह का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है|

17. अस्सी घाट

शांत और सुकून भरे वातावरण में संजोया हुआ यह घाट पर्यटकों के लिए बनारस में घूमने की जगह में एक खास स्थान बनाये है जहाँ पर उगते हुए सूरज और ढलते हुआ सूरज का नजारा आपकी दिन भर की थकान को मिनटों में दूर कर देगा| कुछ पल गंगा के तट पर बिताने का मन हो और शांत वातावरण हो, ऐसा पल तो हर किसी की ख्वाहिश होती है| यहाँ का नौकाविहार का आनंद और साथ ही साथ मन को अध्यात्म से जोड़ने वाली गंगा आरती इसमें चार चाँद लगाते हैं|

18. मूलगंध कुटी विहार

यहाँ पर गौतम बुद्ध जी के दर्शन होते हैं| इस मंदिर में गौतम बुद्ध जी के अवशेष भी हैं जिनको कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु रखा जाता है| यहाँ की दीवारों पर बुद्ध जी के जीवन पर आधारित चित्रण भी किया गया है|

19. मणिकर्णिका घाट

वह घाट जहाँ पर अग्नि कभी शांत नहीं होती है| बनारस का ऐसा घाट जहाँ पर सबसे ज्यादा जलती हुई चिताएँ ढलते हुए सूरज के साथ देखने को मिलती है| कमजोर ह्रदय वाले इस स्थान पर न जाएँ क्योंकि  यह दृश्य उनके लिए परेशानी भरा हो सकता है|

मणिकर्णिका घाट के किनारे रतनेश्वर महादेव मंदिर भी है, जो कि झुका हुआ बना है| यहाँ पर शिव जी की पूजा होती है जिन्हें रतनेस्वर महादेव कहा जाता है|

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बनारस में घूमने की जगह के साथ ही साथ आप उत्तर प्रदेश में स्थित अन्य धार्मिक स्थानों के बारें में भी जान सकते हैं| आप हमारे लेख ‘प्रयागराज में घूमने की जगह’ को भी पढ़ सकते हैं और प्रयागराज से जुड़ी हुई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं|

बनारस कैसे पहुंचें?

हवाई मार्ग द्वारा- बनारस में लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एअरपोर्ट है जहाँ से देश तथा विदेश के प्रमुख शहरों के लिए उड़ाने उपलब्ध रहती हैं, जिसके माध्यम से आप आसानी से बनारस पहुँच सकते हैं|

रेल मार्ग द्वारा- बनारस में 2 रेलवे स्टेशन भी हैं, जो कि सभी प्रमुख शहरों से रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं जिसके माध्यम से आप आसानी से ट्रेन से बनारस आ सकते हैं|

सडक मार्ग द्वारा- उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के द्वारा दैनिक स्तर पर आस पास के जिलों से बनारस के लिए बस की सुविधा उपलब्ध रहती है| आप अपने साधन से भी यहाँ आ सकते हैं, सड़के अच्छी हैं तथा गूगल मैप भी अच्छा काम करता है| आपको यहाँ ट्रैफिक की समस्या थोड़ा परेशान कर सकती है|

FAQ-

प्रश्न- बनारस में घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- काशी विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन हनुमान मंदिर, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, विशालाक्षी मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट, भारत कला भवन, मूलगंध कुटी विहार, सारनाथ, भारत माता मंदिर, संकठा मंदिर, कालभैरव मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, मृत्युंजय महादेव मंदिर, गोपाल मंदिर, नमो घाट, दुर्गा मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, तुलसी घाट आदि बनारस में घूमने की जगह हैं|

प्रश्न- लखनऊ से वाराणसी की दूरी कितनी है?

उत्तर- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वाराणसी की दूरी 312 किलोमीटर है|

प्रश्न- विशालाक्षी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर- यह मंदिर माता सती को समर्पित है तथा 51 शक्तिपीठों में एक है और यहाँ पर देवी की मणिकर्णिका गिरी थी|

लेख को अंत तक पढने के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद| और अधिक जानकारी के लिए बनारस की ऑफिसियल वेबसाइट देखें| किसी प्रकार की त्रुटि के लिए हमें जरुर बताएं| 

-दीक्षा दीक्षित

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