51 शक्तिपीठ

शक्तिपीठ का अर्थ उन तीर्थ स्थलों से है जहाँ पर स्वयं शक्ति अर्थात् माँ दुर्गा हों| इन 51 शक्तिपीठ का अपना अलग महत्त्व है, अगर आप नवरात्री के दिनों में यहाँ दर्शन हेतु जायेंगे, तो आपको भक्तों का भारी हुजूम दिखाई देगा| सामान्य दिनों में भी शक्तिपीठ के दर्शन के लिए जायेंगे, तो भी आपको भीड़ मिलेगी ही क्यूंकि हमेशा ही यहाँ पर भक्तों का मेला लगा ही रहता है| लेकिन सामान्य दिनों में, नवरात्री के दिनों से भीड़ कम होती है|

भगवान विष्णु द्वारा अपने सुदर्शन चक्र से माता सती का शरीर काटने पर माता सती के शरीर के अंग और आभूषण जिस जिस स्थान पर गिरे, उन्हें ही शक्तिपीठ की श्रेणी में रखा गया| आज हम आप सभी को इन 51 शक्तिपीठ के विषय में विस्तारपूर्वक बताएँगे| तो माँ के शक्तिपीठ के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हुए बोलिए जय माता दी!

51 शक्तिपीठ, नवरात्रि में घूमने की जगह
51 शक्तिपीठ, कामख्या शक्तिपीठ
51 शक्तिपीठ की जानकारी,
51 शक्तिपीठ कौन- कौन से हैं?
शक्तिपीठ,
51 शक्तिपीठ यात्रा,
शक्तिपीठ का महत्त्व,
शक्तिपीठ की पौराणिक कथा,
नवरात्री,
दुर्गा पूजा

देवी पुराण के अनुसार कुल 51 शक्तिपीठ हैं, जिनमें से भारत में 42, तिब्बत में 1, श्रीलंका में 1, नेपाल में 2, पाकिस्तान में 1 और बांग्लादेश में 4 शक्तिपीठ हैं| देवी गीता के अनुसार 72 शक्तिपीठ हैं| देवी भागवत में 108 शक्तिपीठ होने के बारे में कहा गया है| जबकि तंत्र चूड़ामणि के अनुसार 52 शक्तिपीठ विद्यमान हैं|

51 शक्तिपीठ से जुडी पौराणिक कथा-

सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं, जिन्होंने शिव जी से विवाह किया था परन्तु प्रजापति दक्ष इस विवाह से खुश नहीं थे|

माता सती के विवाह के उपरांत प्रजापति दक्ष ने यज्ञ कराया, जिसमें उन्होंने अपने जमाता शिव जी और अपनी पुत्री माता सती को छोड़ कर सभी देवतागण को आमंत्रित किया| माता सती ने न बुलाने पर भी शिव जी से यज्ञ में जानें की इच्छा प्रकट की, जिस पर शिव जी ने माता सती को मना किया| लेकिन माता सती , शिव जी के मना करने के बाद भी यज्ञ में शामिल होने गयीं| यज्ञ में पहुचने पर माता सती का किसी भी प्रकार का आदर सत्कार नहीं किया गया बल्कि प्रजापति दक्ष ने माता सती से उनके पति अर्थात् शिव जी के लिए अपशब्द कहे|

पिता द्वारा पति का अपमान करने पर माता सती ने उसी यज्ञ की अग्नि में कूद कर स्वयं के प्राणों की आहुति दे दी| तब वहां शिव जी आये, और उन्होंने प्रजापति दक्ष का सिर, धड़ से अलग कर दिया और माता सती का शरीर यज्ञ की अग्नि से निकाला और दुखी होकर माता की देह लिए जगह- जगह घूमते रहे| सभी देवताओं को शिव जी का क्रोध देखकर अब प्रलय का भय था जिसके कारण सभी ने विष्णु जी से इस प्रलय को रोकने हेतु अनुरोध किया| तब विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए और यह टुकड़े जिस-जिस स्थान पर गिरे, वह शक्तिपीठ कहलाये|

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51 शक्तिपीठ के अंग, स्थान, शक्ति और भैरव रूप

51 शक्तिपीठ के विषय में निम्न सारणी में बताया गया है कि माता सती का कौन सा अंग किस स्थान पर गिरा| तथा उस शक्तिपीठ में माँ किस रूप में पूजी जाती हैं और भैरव का कौन सा रूप उनके साथ है|

 क्रमांकशरीर का अंग/ आभूषणशक्तिपीठ का नाम और स्थानशक्ति रूपभैरव
1.आँखशार्करे (कराची, पाकिस्तान)महिषा मर्दिनीक्रोधिषा  
2.गलाअमरनाथ (कश्मीर)महामायात्रिसंध्येश्वर
3.सिर का ऊपरी भागहिंगलाज (पाकिस्तान)कोट्टरीभीमलोचन
4.जीभज्वाला (काँगड़, हिमांचल प्रदेश)अम्बिकाउत्तम भैरव
5.पायलइन्द्राक्षी (लंका)इन्द्राक्षीराक्षेस्वर
6.नीचे का होंठअट्टहास (पश्चिम बंगाल)फुल्लराविश्वेश
7.गले का हारनंदिपुर (सैन्थिया, पश्चिम बंगाल)नंदिनीनंदिकेश्वर
8.दायाँ स्कंधरत्नावली (हुगली, बंगाल)कुमारीशिव
9.बायीं हथेलीयशोर (बांग्लादेश)यशोरेश्वरीचन्द्र
10.मनवक्रेश्वर (सैन्थिया, पश्चिम बंगाल)महिषासुर मर्दिनीवक्रनाथ
11.हड्डियाँनलहाटी (पश्चिम बंगाल)कालिकायोगेश
12.दिलवैद्यनाथ (देवघर, झारखण्ड)जयदुर्गावैद्यनाथ
13.बायां कन्धामिथिला (भारत नेपाल सीमा) देवी उमामहोदर  
14.दाईं पैर की उँगलियाँविराट अम्बिका (विराट ग्राम, जयपुर, राजस्थान)अम्बिकाअमृत
15.ठुड्डीजनस्थान (नासिक, महाराष्ट्र)भ्रामरीविक्र्ताक्ष
16.बायां कपोलगोदावरी तट (आंध्र प्रदेश)विश्वेश्वरीदण्डपाणी
17.ऊपर का होंठभैरव पर्वत ( गुजरात या मध्य प्रदेश)अवन्तीलम्बकर्ण
18.उदरचंद्रभागा (गुजरात)चंद्रभागावक्रतुंड
19.ग्रीवाश्री शैल (आंध्र प्रदेश)महालक्ष्मीईश्वरानंद
20.बायां एड़ीविभाषा (पश्चिम बंगाल)कपालिनीसर्वानंद
21.बायी तल्पकरतोया (बांग्लादेश)अर्पणावामन
22.नीचे के दांतपंचसागर (उत्तर प्रदेश)वराहीमहारुद्र
23.प्रस्ठ भागशुचेंद्रम (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)नारायणीसंहार
24.केशपासकात्यायनी (वृन्दावन, मथुरा)कात्यायनीभूतेश
25.दायां नितम्बशोण (अमरकंटक, मध्य प्रदेश)नर्मदाभद्रसेन
26.दायां स्तनरामगिरी (उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश)शिवानीचंड
27.बायां नितम्बकाल माधव ( अमरकंटक, मध्य प्रदेश)कालीअसितांग
28.कंकाल शरीरकांची (कांचीवरम, तमिलनाडु)देवगर्भारुरु
29.कलाईमणिवेदिक (पुष्कर, राजस्थान)गायत्रीसर्वानन्द
30.दाहिना चरणकुरुक्षेत्र (कुरुक्षेत्र, हरियाणा)सावित्रीस्थाणु
31.ह्रदयअम्बाजी मंदिर (गुजरात)चन्द्रभागावक्रतुंड
32.घुटनेगुहेश्वरी (नेपाल)महामायाकपाल
33.दायाँ हाथमानस (कैलाश पर्वत, तिब्बत)दाक्षायिनीअमर
34.नाभिउत्कल (पुरी, ओडिशा)विमलाजगन्नाथ पुरुषोत्तम
35.मस्तिष्कगण्डकी (नेपाल)चंडीचक्रपाणि
36.बायीं बाहुबहुला (पश्चिम बंगाल)बहुलाभीरुक
37.दायीं कलाईउज्जयनी (वर्धमान, पश्चिम बंगाल)चन्द्रिकाकपिलाम्बर
38.दायाँ पैरत्रिपुरी सुंदरी (त्रिपुरा)त्रिपुर सुंदरीत्रिपुरेश
39.दायीं भुजाचट्टल (बांग्लादेश)भवानीचंद्रशेखर
40.बायां पैरत्रिष्तोता (जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)भ्रामरी
ईश्वर
41.योनिकामाख्या (गुवाहाटी, असम)कामाख्याउमानंद
42.पैर की उंगलियाँकालीघाट (कोलकाता, पश्चिम बंगाल)कालिकानकुलेश
43.हाथ की उंगलियाँप्रयाग (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)ललिताभव
44.बायीं जांघजयंती (जयंतिया पहाड़ी, मेघालय)जयंतीक्रमदेश्वर
45.मुकुटकिरीट (पश्चिम बंगाल)विमलासंवर्त
46.मणिकर्णिकाविशालाक्षी (काशी, उत्तर प्रदेश)विशालाक्षीकाल भैरव
47.पीठकन्याकुमारी शक्तिपीठ (तमिलनाडु)श्रावणीस्थाणु
48.नाकसुगंध (बांग्लादेश)सुनंदात्रयम्बक
49.बायां वक्षजालंधर (जालंधर, पंजाब)त्रिपुर मालिनीभीषण
50.आँखकरवीर (कोल्हापुर, महाराष्ट्र)महिषासुर मर्दिनीक्रोधशिश
51.हांथ का अंगूठायुगाद्या जुगाडयाक्षीर खंडक

आशा करते हैं कि आपको 51 शक्तिपीठ से जुडी सभी प्रकार की जानकारी मिली होगी| शक्तिपीठ से जुडी हुई जानकारी सभी जगह भिन्न -भिन्न दी गयी है जिस वजह से सभी जगह आंकड़े भी भिन्न भिन्न हैं| अगर आपको किसी तरह की त्रुटी समझ में आती है, तो अपने सुझाव हमें अवश्य भेजें| इसी तरह हमारे अन्य लेखों को भी पढ़ें| धन्यवाद!

-दीक्षा दीक्षित

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